सरसों का तेल जहां खाना बनाने में उपयोग किया जाता है वही सरसों के दाने खास रेसिपी बनाने में या तड़का लगाने में इस्तेमाल किया जाता है. इससे खाने का स्वाद भी बेहतरीन होता है. कहते हैं कि फार्च्यून, रिफाइंड और डालडा इस्तेमाल करने से बेहतर है कि सरसों का तेल इस्तेमाल किया जाए. ये पोषक तत्व होते हैं भरपूर होते हैं. सरसों के दाने भी हेल्थी मिनरल्स के भरपूर होते हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड की भी बड़ी मात्रा पाई जाती है. आइए जानते हैं सरसों के ज्यादा सेवन से कौन कौन सी समस्या हो सकती है.
सरसों के तेल में पाया जाने वाला एक एसिड जिसका नाम इरूसिक एसिड है वो फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचाता है.दरअसल, सरसों अपर रिस्पेरेटरी सिस्टम को प्रभावित करती है, जिससे सांस लेने में मुश्किल होती है.
फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार, हर साल लगभग 30,000 अमेरिकियों को गंभीर फूड एलर्जी के इमरजेंसी में इलाज किया जाता है, जिनमें से कम से कम 200 लोग अपनी जान गंवा देते हैं.सरसों की एलर्जी अधिक ध्यान देने वाली बात है.डॉक्टरों का कहना है कि सरसों की एलर्जी सबसे गंभीर एलर्जी में से एक है, क्योंकि इसका सेवन करने से हिस्टामाइन में वृद्धि हो सकती है, और एनाफिलेक्टिक शॉक भी हो सकता है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, सरसों के तेल में उच्च स्तर का इरूसिक एसिड होता है जो आपके दिल के स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकता है और इसे काफी नुकसान पहुंचा सकता है.सरसों के अधिक उपयोग से मायोकार्डियल लिपिडोसिस, या हृदय के फैटी डिेजेनेरेशन के रूप में जानी जाने वाली चिकित्सा स्थिति हो सकती है, जिसमें ट्राइग्लिसराइड्स के निर्माण के कारण हृदय की मांसपेशियों के मायोकार्डियल फाइबर में फाइब्रोटिक घाव विकसित होते हैं.
ड्राप्सी रोग सरसों के तेल में अर्जीमोन तेल के मिलावट के कारण होता है. इससे गुर्दे ह्रदय सहित अन्य अंग कमजोर हो जाते हैं. इसमें सादा पानी भी बचना मुश्किल हो जाता है. शरीर में दूषित पानी जमा होने लगता है, जिससे पेट फूलने की शिकायत हो जाती है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को सरसों के तेल या काली सरसों के अत्यधिक सेवन से बचना चाहिए क्योंकि इनमें कुछ रासायनिक यौगिक होते हैं जो भ्रूण के लिए हानिकारक होते हैं.
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