खट्टर सरकार चिकित्सा छात्रों की मांगें माने : किसान खेत मजदूर संगठन

चंडीगढ़ (एजेंसी/वार्ता) ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के आठवें प्रदेश स्तरीय सम्मेलन में रविवार को हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार से बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ आंदोलनरत चिकित्सा छात्रों की मांगें स्वीकार करने की मांग की। झज्जर में हो रहे दो दिवसीय सम्मेलन के खुले अधिवेशन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर यह मांग की गई।

एक अन्य प्रस्ताव में देश के सबसे पिछड़े जिले नूंह (मेवात) में शिक्षा, रोजगार, कृषि सुधार, सिंचाई व पेयजल की पुख्ता व्यवस्था करने की मांग की और भाखड़ा बांध की तर्ज पर किशाऊ, रेणुका व लखवार बान्ध बना कर वैकल्पिक उपाय करने पर बल दिया गया।

सम्मेलन में मुख्य वक्ता सत्यवान ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले 75 सालों के शासन में खेती-बाड़ी में पूंजी की घुसपैठ निर्णायक हद तक हो चुकी है। बड़े-बड़े व्यापारी नई फसल आने पर उसे सस्ता खरीद कर कुछ ही समय बाद कई गुना महंगा रेट पर बेचकर मालामाल हो रहे हैं।

नरेंद्र मोदी सरकार का 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने का दावा महज एक छलावा साबित हुआ है।
उल्टे, सरकार की निजीकरण की विनाशकारी नीतियों के कारण कृषि उपयोगी चीजों के दाम बेतहाशा बढ़ने से और सब्सिडी घटाने से खेती पर लागत खर्च का बोझ दुगने से भी ज्यादा बढ़ गया है।

संगठन के महासचिव सिंगूर व नन्दीग्राम आन्दोलन के एक प्रमुख नेता शंकर घोष ने कहा कि देश प्रदेश के किसानों के सामने सबसे बड़ी चुनौती कृषि उपयोगी चीजों – खाद, बीज, कीटनाशकों व कृषि औजारों और कृषि उपज के राष्ट्रीय बाजार पर कायम बड़े पूंजीपतियों के नियंत्रण को समाप्त करने की है।

इसका एकमात्र कारगर हल यह है कि कृषि उपज के व्यापार से तमाम प्राइवेट कंपनियों को बाहर किया जाये।
अनाज समेत आवश्यक वस्तुओं का सम्पूर्ण व्यापार सरकार अपने हाथ में ले, लागत से डेढ़ गुना दामों पर खरीद सुनिश्चित करे और देश की गरीब जनता को खुद सस्ते दामों पर उपलब्ध कराए।

बिहार से किसान नेता लालबाबू महतो ने केन्द्र व प्रदेश सरकारों की तरफ से फसल खराबे का सही मुआवजा और भूमिहीन गरीबों को पूरे साल काम न देने के लिये उनकी कड़ी आलोचना की। मध्यप्रदेश से किसान नेता मनीष श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि किसान – खेत मजदूरों पर कर्जवृद्धि और उनमें आत्महत्या की दुखदाई घटनाओं के लिए मोदी सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं।

पंजाब से किसान नेता थाना सिंह ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार बिजली संशोधन विधेयक 2022 को संसद में पेश कर बिजली क्षेत्र को पूरी तरह से निजी कम्पनियों को सौंपना चाहती है। राजस्थान से किसान नेता शंकर दहिया ने देश में भूख व कुपोषण बढ़ते के लिए केंद्र सरकार की नीतियों को जिम्मेवार माना।

किसान नेता जयकरण माण्डौठी ने इस साल बाजरा व धान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर पूरा नहीं खरीदने पर रोष जताया और एमएसपी समाप्त करने के लिये लाई जा रही भावांतर जैसी योजनाओं को भ्रामक व साजिशपूर्ण करार देकर विरोध किया। एसयूसीआई (सी) के प्रदेश नेता राजेन्द्र सिंह एडवोकेट ने किसान मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार आन्दोलन शुरू करने का आह्वान किया।

खुले अधिवेशन के अध्यक्ष किसान नेता अनूप सिंह मातनहेल ने कहा कि एमएसपी के गारंटी कानून बनवाने के अलावा सम्मेलन का प्रमुख लक्ष्य जनविरोधी बिजली संशोधन विधेयक को रद्द कराने, किसानों समेत तमाम ग्रामीण गरीबों को पूरे साल काम उपलब्ध कराने और कर्ज समाप्ति कराने के लिये जोरदार आन्दोलन खड़ा करना है।

एजेंसी/वार्ता

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