भारत में सरसों के तेल का उपयोग प्राचीन समय से होता आया है। काली और पीली सरसों के तेल का इस्तेमाल खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है और ये आमतौर पर हर भारतीय रसोई में मिलते हैं। हालांकि, कई लोग इसे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानते हैं, पर क्या सच में सरसों का तेल दिल की सेहत के लिए अच्छा है? क्या इसका अधिक उपयोग हार्ट अटैक का कारण बन सकता है? आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
क्या सरसों का तेल दिल के लिए हानिकारक हो सकता है?
बरसात के मौसम में पकोड़े तले से लेकर दाल-सब्जी में तड़का लगाने तक, सरसों का तेल भारतीय रसोई का अहम हिस्सा होता है। हालांकि, डाइटिशियन के अनुसार, दिल की सेहत के लिए सरसों का तेल उतना फायदेमंद नहीं है, जितना लोग समझते हैं।
काली या पीली सरसों का तेल: कौन सा बेहतर है?
कई विशेषज्ञों का मानना है कि काली और पीली सरसों के तेल में कोई बड़ा फर्क नहीं होता। दोनों के स्वाद में भले ही अंतर हो, लेकिन न्यूट्रिशनल वैल्यू में वे एक जैसे होते हैं। एक प्रसिद्ध डाइटिशियन गरिमा के अनुसार, दोनों तरह के तेलों में यूरिक एसिड पाया जाता है, जो दिल के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए, ये तेल सेहत के लिए अच्छे नहीं माने जाते।
यूरिक एसिड और दिल की सेहत
काली और पीली दोनों सरसों के तेल में यूरिक एसिड होता है, और यही यूरिक एसिड दिल की बीमारियों के लिए खतरा पैदा कर सकता है। शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ना खून के संचार को प्रभावित करता है, जिससे दिल के रोगों का खतरा बढ़ सकता है। इस कारण से, डॉक्टर भी उन खाद्य पदार्थों से परहेज करने की सलाह देते हैं जो यूरिक एसिड को बढ़ाते हैं।
कैसे करें बचाव?
जबकि सरसों के तेल का सेवन सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है, डाइटिशियन ने कैनोला तेल को सेहत के लिए लाभकारी बताया है। यह तेल दिल की सेहत को बेहतर बनाए रखने में मदद कर सकता है और इसे खाना पकाने के लिए एक अच्छा विकल्प माना जाता है।
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