क्या एयरप्लेन मोड आज भी जरूरी है? जानिए इसके पीछे की पूरी साइंस

एयरप्लेन मोड एक ऐसी सुविधा है जो आपके मोबाइल, टैबलेट या लैपटॉप में होती है। जब आप इसे ऑन करते हैं, तो आपके डिवाइस से निकलने वाले सभी वायरलेस सिग्नल जैसे – मोबाइल नेटवर्क, Wi-Fi, Bluetooth और GPS बंद हो जाते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य हवाई यात्रा के दौरान विमान के नेविगेशन सिस्टम को किसी भी दखल से बचाना होता है।

🛑 एयरप्लेन मोड क्या करता है?
जब आप एयरप्लेन मोड ऑन करते हैं, तो…

📶 मोबाइल नेटवर्क बंद हो जाता है

📡 Wi-Fi और Bluetooth भी ऑफ हो जाते हैं

🛰️ GPS सिग्नल भी रुक जाते हैं

इससे आपका फोन या डिवाइस कोई भी रेडियो सिग्नल न भेजता है, न रिसीव करता है।

📶 फिर Wi-Fi और Bluetooth कैसे चलाते हैं?
हालांकि, एयरप्लेन मोड ऑन होने के बावजूद आप Wi-Fi और Bluetooth को मैन्युअली दोबारा चालू कर सकते हैं।

➡️ लेकिन इसके लिए एयरलाइन की परमिशन जरूरी होती है।
आजकल कई एयरलाइंस जैसे Vistara और Emirates उड़ान के दौरान Wi-Fi सर्विस भी देती हैं। ऐसे में आप इंटरनेट चला सकते हैं, हालांकि कॉलिंग नहीं कर पाएंगे।

🔋 एयरप्लेन मोड जमीन पर भी फायदेमंद!
ये मोड सिर्फ फ्लाइट में ही नहीं, बल्कि:

📴 बैटरी बचाने

📵 ध्यान भटकने से बचने

🌙 डिस्टर्ब न होने के लिए

भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

🕵️ कैसे पहचानें एयरप्लेन मोड?
सभी स्मार्टफोन्स में एक हवाई जहाज का आइकन ✈️ होता है।
यह आइकन आपके फोन की Quick Settings में दिखाई देता है।
इसे ऑन करने पर सभी वायरलेस सेवाएं एक क्लिक में बंद हो जाती हैं।

🤔 क्या अब भी जरूरी है एयरप्लेन मोड?
भले ही आज के विमानों में उन्नत टेक्नोलॉजी आ गई है, लेकिन:

मोबाइल नेटवर्क

Wi-Fi

GPS सिग्नल

अभी भी नेविगेशन सिस्टम को डिस्टर्ब कर सकते हैं, खासतौर पर टेक-ऑफ और लैंडिंग के समय।

इसलिए DGCA और अंतरराष्ट्रीय नियामक अभी भी इसकी सख्ती से सिफारिश करते हैं।

नई टेक्नोलॉजी जैसे 5G भले ही रेडियो सिग्नल को स्मार्टली मैनेज करती हो, लेकिन फिलहाल उस पर 100% भरोसा नहीं किया जा सकता।

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