चावल, गेहूं का आटा, दाल जैसे खाने का समान महंगा होने से कृषि श्रमिकों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में बढ़कर 7.37 प्रतिशत हो गई। वहीं ग्रामीण श्रमिकों के लिए यह 7.13 प्रतिशत रही। अक्टूबर में कृषि श्रमिकों की खुदरा मुद्रास्फीति 7.08 प्रतिशत और ग्रामीण श्रमिकों की खुदरा मुद्रास्फीति 6.92 प्रतिशत थी।
श्रम मंत्रालय की ओर से बृहस्पतिवार को जारी बयान के अनुसार, कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए खाद्य मुद्रास्फीति नवंबर में क्रमश 9.38 प्रतिशत और 9.14 प्रतिशत रही, जबकि अक्टूबर, 2023 में यह क्रमश: 8.42 प्रतिशत तथा 8.18 प्रतिशत थी। कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए खाद्य मुद्रास्फीति नवंबर, 2022 में क्रमश 6.19 प्रतिशत और 6.05 प्रतिशत दर्ज की गई थी।
बयान के अनुसार, सीपीआई-एएल (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-कृषि श्रमिक) और सीपीआई-आरएल (ग्रामीण श्रमिक) पर आधारित मुद्रास्फीति की दर इस साल नवंबर में क्रमश 7.37 प्रतिशत और 7.13 प्रतिशत रही। अक्टूबर, 2023 में यह क्रमश 7.08 प्रतिशत और 6.92 प्रतिशत थी।
इस साल नवंबर में कृषि श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 12 अंक बढ़कर 1,253 अंक हो गया, जबकि ग्रामीण श्रमिकों के लिए यह 11 अंक बढ़कर 1,262 अंक रहा। इस साल अक्टूबर में दोनों सूचकांक क्रमश: 1,241 अंक और 1,251 अंक थे।
कृषि श्रमिकों और ग्रामीण श्रमिकों के सामान्य सूचकांक में वृद्धि में प्रमुख योगदान क्रमश 10.85 और 10.50 अंक की सीमा तक खाद्य पदार्थों का रहा। चावल, गेहूं आटा, दालें, प्याज, हल्दी, लहसुन, मिश्रित मसाले आदि की कीमतों में वृद्धि इसकी मुख्य वजह रही।
– एजेंसी