भारत के स्टार्टअप परिदृश्य ने बीते एक दशक में अभूतपूर्व प्रगति की है। स्टार्टअप इंडिया पहल, ऐंजल टैक्स हटाने और रिवर्स फ्लिपिंग नियमों को सरल बनाने जैसे सुधारों के चलते यह क्षेत्र तेजी से उभरा है। आज भारत 1.59 लाख डीपीआईआईटी से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स और 110 यूनिकॉर्न के साथ दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया है।
स्टार्टअप इंडिया की शुरुआत
स्टार्टअप इंडिया पहल की शुरुआत 16 जनवरी 2016 को हुई थी। नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए कई बड़े कदम उठाए गए। इसी साल फंड्स ऑफ फंड्स के तहत 10,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया और अटल इनोवेशन मिशन की नींव रखी गई। 2024 में ऐंजल टैक्स हटाने और रिवर्स फ्लिपिंग नियमों में ढील देने से इस क्षेत्र में और मजबूती आई।
महिला उद्यमिता और रोजगार सृजन
स्टार्टअप इंडिया पहल ने महिला उद्यमिता को एक नई दिशा दी है। 31 अक्टूबर 2024 तक, भारत में मान्यता प्राप्त 73,151 स्टार्टअप्स में कम से कम एक महिला निदेशक है। यह महिला उद्यमिता के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।
इसके साथ ही, 2016 से अब तक स्टार्टअप्स ने 16.6 लाख से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियां सृजित की हैं, जो इस क्षेत्र की सामाजिक और आर्थिक प्रासंगिकता को स्पष्ट करता है।
वित्तीय उपलब्धियां और तकनीकी प्रगति
2016 से 2024 के बीच भारतीय स्टार्टअप्स ने 155 अरब डॉलर का निवेश जुटाया है। इस दौरान ई-कॉमर्स को नई दिशा देने के लिए ओएनडीसी (ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स) की शुरुआत हुई और राष्ट्रीय डीप टेक स्टार्टअप नीति का मसौदा पेश किया गया।
भविष्य की राह
आज, भारत के 36 में से 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की अपनी स्टार्टअप नीतियां हैं। अटल इनोवेशन मिशन को 2028 तक 2,750 करोड़ रुपये के बजट के साथ जारी रखने की योजना है।
स्टार्टअप इंडिया ने न केवल भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत पहचान दिलाई है, बल्कि इसे आर्थिक और सामाजिक बदलाव के एक बड़े चालक के रूप में स्थापित किया है। आने वाले वर्षों में यह पहल भारत की प्रगति में और भी बड़ा योगदान देगी।
स्टार्टअप्स की यह यात्रा सिर्फ एक बदलाव नहीं, बल्कि नए भारत की कहानी है।
यह भी पढ़ें:
इस फल के छिलके से आप भी अपने दाग धब्बे से छुटकारा पाकर पा सकते है बेदाग और चमकदार त्वचा