सर्दी के मौसम में टॉन्सिल की समस्या अक्सर परेशान करती है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये टॉन्सिल्स है क्या? चलिए आपको बताते हैं. दरअसल, हमारे मुंह के पीछे दो अंडाकार पैड होते हैं, यहीं टॉन्सिल (Tonsil) कहलाते हैं. जब सर्दी का मौसम आता है, तब कई लोगों को गले में खराश, खांसी और सूजन जैसी समस्या होती है.
टॉन्सिल कैंसर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टॉन्सिल्स की समस्या किसी भी उम्र में परेशान कर सकती है. कई बार यह इतनी गंभीर हो जाती है कि फीवर तक आ जाती है. वैसे तो टॉन्सिल की समस्या एक हफ्ते में ही खत्म हो जाती है लेकिन जब कभी यह लंबे समय तक बनी रहे तो कैंसर (Cancer) का रुप भी ले सकती है. जब टॉन्सिल्स की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं, तब टॉन्सिल कैंसर होता है.
ये लक्षण दिखे तो हो जाए सावधान
निगलने में परेशानी होना
leaching के दौरान दर्द
कान में कई बार लगातार दर्द होना
आवाज का बनावटी हो जाना
वजन कम होने लगे, भूख न लगे और बार-बार थकान हो जाना
सरवाइकल लिम्फ नोड में वृद्धि
जबड़े का सख्त होना
क्यों होते हैं टॉन्सिलिटिस
टॉन्सिलिटिस में अधिकतर मामले सामान्य वायरस के संक्रमण के कारण होते हैं लेकिन कई बार यह बैक्टीरिया संक्रमण की वजह से भी हो जाता है. ज्यादातर मामलों में टॉन्सिलाइटिस स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया की वजह से ही होते हैं. यही स्ट्रेप थ्रोट का कारण भी बनते हैं.
टॉन्सिल्स कितने प्रकार के होते हैं
एक्यूट टॉन्सिलाइटिस
एक्यूट टॉन्सिलाइटिस(Acute Tonsillitis) में एक जीवाणु या वायरस टॉन्सिल्स को संक्रमित कर देता है. जिसकी वजह से गले में सूजन और खराश की समस्या होने लगती है. इसमें टॉन्सिल्स का रंग ग्रे या सफेद हो जाता है.
क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस
जब कभी ऐसी स्थिति बन जाए कि किसी को भी जल्दी जल्दी टॉन्सिल्स हो रहा है तो यह क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस (Chronic Tonsillitis) होने के लक्षण होते हैं. कभी-कभी ऐसा भी होता है, जब एक्यूट टॉन्सिलाइटिस के बाद क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस हो जाता है.
पेरिटॉन्सिलर एब्सेस
पेरिटॉन्सिलर एब्सेस (Peritonsillar Abscess) टॉन्सिलाइटिस में टॉन्सिल्स में मवाद जमने लगती है. पेरिटॉन्सिलर फोड़ों को बिना देरी के सुखा देना चाहिए। लंबे समय तक रहना कैंसर का जोखिम बढ़ाता है.
एक्यूट मोनोन्यूक्लियोसिस
एक्यूट मोनोन्यूक्लियोसिस (Acute mononucleosis) एपस्टीन बार वायरस की वजह से होता है. इस वजह से टॉन्सिल्स में गंभीर सूजन, फीवर, गले में खराश, लाल चकत्ते की समस्या होने लगती है.
स्ट्रेप थ्रोट
स्ट्रेप थ्रोट (Strep throat) टॉन्सिलाइटिस स्ट्रेप्टोकोकस नाम की बैक्टीरिया के कारण होता है. इसकी वजह से गला संक्रमित हो जाता है. गले की खराश के साथ गर्दन दर्द और बुखार आने लगता है.
टॉन्सिलोइथ्स या टॉन्सिल स्टोन्स
टॉन्सिलोइथ्स या टॉन्सिल स्टोन्स (Tonsilloliths or Tonsil Stones) तब होता है, जब गले में कोई भी अपशिष्ट फंस जाए और वह कड़ा हो जाए. ऐसी स्थिति में बिना देरी किए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.
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