उच्चतम न्यायालय ने सभी अधिवक्ताओं के अनिवार्य प्रशिक्षण से गुजरने और जब तक उनके पास किसी मान्यता प्राप्त विधि विश्वविद्यालय से प्रमाणपत्र न हो उन्हें वकालत करने की अनुमति नहीं दिए जाने पर जोर देते हुए शुक्रवार को कहा कि अगर न्यायाधीश प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी जा सकते हैं, तो वकील क्यों नहीं।
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) विधायक माणिक भट्टाचार्य के बेटे सौविक भट्टाचार्य की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। सौविक भट्टाचार्य को पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती “घोटाला” के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है।
भट्टाचार्य की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि समन आदेश के न होने के बावजूद निचली अदालत में एक वकील द्वारा जमानत याचिका दायर की गई थी।
पीठ ने मौखिक रूप से कहा, “आपके पास वकीलों के लिए कोई विधि अकादमी क्यों नहीं है? हमारे पास न्यायाधीशों के लिए है। विधिज्ञ परिषद द्वारा दोषी वकीलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्हें ठीक से शिक्षित किया जाना चाहिए। कुछ कीजिए। वरिष्ठ अधिवक्ताओं सहित प्रत्येक वकील के लिए अनिवार्य प्रशिक्षण होना चाहिए।”
पीठ ने कहा, “यदि न्यायाधीश राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी में जा सकते हैं, तो वकील क्यों नहीं? जब तक उनके पास किसी मान्यता प्राप्त विधि विश्वविद्यालय से प्रमाणपत्र न हो, उन्हें वकालत करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। विदेशों में तो यह है ही। ऐसा नहीं है कि इसे कोई नहीं जानता, समस्या यह है कि कोई इस पर अमल नहीं करना चाहता।”
शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से मामले में पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू को यह सत्यापित करने का निर्देश दिया कि क्या अदालत ने कोई समन आदेश पारित किया है और मामले में सुनवाई एक सप्ताह के बाद निर्धारित की।
ईडी ने रातभर पूछताछ के बाद 11 अक्टूबर 2022 को माणिक भट्टाचार्य को गिरफ्तार किया था। पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष भट्टाचार्य को कथित तौर पर जांच में सहयोग नहीं करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
– एजेंसी