मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की नजरबंदी जनवरी के दूसरे सप्ताह तक बढ़ी

नयी दिल्ली (एजेंसी/वार्ता): उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को भीमाकोरे गांव मामले के आरोपी मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की नजरबंदी जनवरी के दूसरे सप्ताह तक बढ़ा दी। यह मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष अंतरिम आदेश देने के लिए आज सूचीबद्ध था। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू इस मामले की सुनवाई के लिए आज उपलब्ध नहीं थे, अत: न्यायालय ने नवलखा की नजरबंदी अगले वर्ष जनवरी के दूसरे सप्ताह तक बढ़ा दी।

शीर्ष न्यायालय ने 10 नवंबर को नवलखा को केन्द्रीय जेल से ले जाकर उनके घर पर नजरबंद कर देने का आदेश दिया था। एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामला पुणे में हुए 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद कॉन्क्लेव में भड़काऊ भाषण दिये जाने से संबंधित है। नवलखा अप्रैल 2020 से जेल में हैं। उन्हें कई तरह की बीमारियां हैं। बम्बई उच्च न्यायालय की ओर से स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का हवाला देते हुए नवलखा की नजरबंद करने संबंधी याचिका रद्द कर दिये जाने के बाद आरोपी ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया था। नवलखा 2018 के भीमा काेरेगांव मामले के आरोपी हैं।

उच्चतम न्यायालय के 10 नवंबर के आदेश पर 66 वर्षीय नवलखा 19 नवंबर को तलोजा केन्द्रीय जेल से रिहा किये गये और एक महीने की नजरबंदी के लिए मुम्बई पुलिस को सौंपे गये थे। उच्चतम न्यायालय ने 18 नवंबर के आदेश में अपना 10 नवंबर को दिया आदेश वापस लेने से इनकार कर दिया था। न्यायालय ने नवलखा की ‘खराब सेहत और उम्र’ को देखते हुए उन्हें नजरबंद रखने का आदेश बरकरार रखा था। शीर्ष न्यायालय ने नवलखा की नजरबंदी के दौरान सुरक्षा प्रबंध कड़े रखने का भी आदेश दिया था।

-एजेंसी/वार्ता

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