हमीरपुर (एजेंसी/वार्ता) हिमाचल प्रदेश में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव की मतगणना में महज चार दिन शेष रह जाने के बीच दोनों प्रमुख पार्टियों भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) और कांग्रेस के नेताओं ने अपने बागियों को संदेश भेजना शुरू कर दिया है। यदि उनके पास सदन में बहुमत से कम हो तो वे उनके साथ शामिल हों।
राज्य विधानसभा की 68 सीटों के लिए 12 नवंबर को चुनाव हुए थे। आठ दिसंबर को मतगणना होगी और उसके बाद नई सरकार के गठन की प्रक्रिया होगी। अलग अलग जिलों से मिल रही जानकारी जानकारी बताती है कि नए सदन में बहुमत हासिल करने के बड़े-बड़े दावों के बावजूद दोनों पार्टियों के लिए अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं है।
हाल ही में संपन्न हुए चुनावों में दोनों दलों के बागियों की उपस्थिति ने दोनों दलों के शीर्ष नेताओं की रातों की नींद हराम कर दी है और वे अपने उन बागियों/असंतुष्टों से संपर्क करने के लिए मजबूर हैं, जो विभिन्न जिलों से चुनाव जीतने की स्थिति में हैं।
भाजपा के सूत्रों ने आज ‘यूनीवार्ता ’को बताया कि गृह मंत्री अमित शाह और अखिल भारतीय भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा ने अपने राज्य स्तर के शीर्ष नेताओं को अपने बागियों के संपर्क में रहने और यह सुनिश्चित करने का सख्त निर्देश दिया है कि उनकी जीत के मामले में वे किसी भी कीमत पर कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन न करें और इस प्रकार भाजपा का समर्थन करें जो उनकी मातृ पार्टी है।
दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी में भी स्थिति ठीक नहीं है क्योंकि पार्टी के कई नेताओं ने यह दावा करना शुरू कर दिया है कि अगर पार्टी सत्ता में आई तो वह राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे। इनमें हिमाचल प्रदेश कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह (पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की पत्नी), कौल सिंह ठाकुर, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री, पूर्व वन मंत्री राम लाल ठाकुर, सुखविंदर सिंह सुखू, हिमाचल प्रदेश कांग्रेस पार्टी की पूर्व अध्यक्ष आशा कुमारी, एक अनुभवी पार्टी नेता और पिछली विधानसभा में पार्टी के नेता मुकेश अग्निहोत्री शामिल है।
इन सभी नेताओं ने अपने शीर्ष नेताओं से मुलाकात की है और सदन के नेता के पद के लिए अपना दावा पेश किया है। इनका कहना कि उन्हें भाजपा को नुकसान पहुंचाने और पार्टी को ऐसी स्थिति में वापस लाने का श्रेय दिया जाना चाहिये जिसकी वजह से राज्य में पार्टी एक बार फिर सरकार बनाने की स्थिति में पहुंची है।
कांग्रेस पार्टी के सूत्रों ने आज यूनीवार्ता को बताया कि कांग्रेस पार्टी के सत्ता में आने की स्थिति में सदन के नए नेता के चयन में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का अधिकार होगा।बहरहाल, सभी की निगाहें प्रियंका गांधी पर टिकी हैं, जिन्होंने न केवल राज्य में पार्टी का प्रचार अभियान चलाया, बल्कि शिमला जिले में अपने छराबड़ा स्थित घर में रहकर पूरी चुनावी प्रक्रिया का पर्यवेक्षण भी किया।
सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने 8 दिसंबर को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद प्रियंका गांधी को सदन के नेता के रूप में नामित करने के लिए अधिकृत किया है। स्थिति अभी भी अस्पष्ट बनी हुई है और राज्य के लोग स्थिति को पूरी तरह से ध्यान से देख रहे हैं। लाख टके का सवाल यह है कि सरकार कौन बनाने जा रहा है।
नई सरकार का क्या हश्र होगा जब उसका खजाना पहले से ही खाली है और सभी पार्टियों के नेताओं ने पुरानी पेंशन योजना के अनुदान ,तीन सौ यूनिट बिजली मुफ्त; सरकार बनने के पहले वर्ष में सभी महिलाओं को 1500 रुपये पेंशन और बेरोजगार युवाओं को एक लाख रोजगार देने का प्रस्ताव आदि जनता को बड़े-बड़े वादे किये है।
एजेंसी/वार्ता
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