कांग्रेस ने मोदी सरकार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) तथा आयकर विभाग (आईटी) जैसी सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि चुनाव आते ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन में इन एजेंसियों के अधिकारियों का हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
कांग्रेस संचार विभाग की प्रमुख पवन खेड़ा ने शुक्रवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा की चुनाव के दिनों इन एजेंसियों को उगाही का जरिया बनाया जाता है। भाजपा के इशारे पर इन एजेंसियों के द्वारा विपक्षी नेताओं को डराया जाता है और उन्हें भाजपा में शामिल करने को मजबूर किया जाता है।
उन्होंने कहा कि एजेंसियों के अधिकारी लोगों को डरा धमका कर पैसा वसूलते हैं। राजस्थान में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं और इसी वसूली के क्रम में कल ईडी अधिकारी नवल किशोर शर्मा को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने किसी चिटफंड कंपनी से जुड़े मामले के निस्तारण के लिए 15 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा है। उनका कहना था कि अगर छोटे स्तर का अधिकारी 15 लाख रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा जाता है तो एजेन्सियों के बड़े अधिकारी कितना रिश्वत वसूलते होंगे।
प्रवक्ता ने कहा, “मोदी सरकार को ईडी की रिश्वत लेने की रेट लिस्ट सार्वजनिक करनी चाहिए। जब निचले लेवल के अधिकारियों की रेट लिस्ट 15 लाख रुपए है तो इनसे ऊपर के अधिकारियों का क्या रेट होगा। ईडी, सीबीआई, आईटी ये सभी भाजपा के ‘सरकार प्रचारक’ हैं। इनको टारगेट दिया जाता है कि किस तरह से विपक्षी नेताओं को डराकर भाजपा में शामिल करवाना है। ये मोदी जी का टूलकिट है।” उन्होंने कहा कि देश की जांच एजेंसियां शक्तिशाली और निर्भिक बनी रहनी चाहिए। जब तक कोई नेता विपक्ष में हैं तो वह भष्टाचारी होता है लेकिन भाकपा में शामिल होते ही पाक- साफ हो जाता है।
खेड़ा ने कहा “भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने अपना काम निर्भीकता से करते हुए राजस्थान में ईडी अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए पकड़ा। इसे लेकर ‘बड़े साहब’ ने इमरजेंसी मीटिंग रखी थी कि उनके फ्रंट लाइन वॉरियर्स को असली एजेंसी से कैसे बचाया जाए। भाजपा सरकार निष्पक्ष संस्थाओं को रौंद रही है। देश के सामने यह एक गंभीर खतरा है।हम मोदी सरकार से कहना चाहते हैं कि इन एजेंसियों को मजबूत कीजिए, मजबूर नहीं।”
– एजेंसी