अब्बू : गोस्वामी तुलसीदास जी ने क्या खूब ये दोहा कहा है–
चित्रकूट के घाट पर, भई संतन की भीर
तुलसीदास चन्दन घिसे, तिलक लेत रघुवीर
मोनू: ये तो पुराना हो चुका है। आज गूगल का, आशिकी भरा आधुनिक ज़माना है इसलिए इस दोहे को कुछ यूँ कहो —
चित्रकूट के घाट पर, भई प्रेमियन की भीर
तुलसीदास देखत रहे, रांझे ले उड़े हीर😜😂😂😂😛🤣
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अब्बू : आज़ादी से पहले ये शेर बड़ा लोकप्रिय था–
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले
वतन पे मिटने वालों का, बाकी यही निशाँ होगा
मोनू: लेकिन आजादी के बाद अब सारा माज़रा ही बदल गया है छोटे —
भ्रष्ट नेताओं के दर पर लगेंगे हर बरस मेले
वतन को लूटने वालों का , बाकी यही निशाँ होगा😜😂😂😂😛🤣
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मोनू: अबे अब्बू के बच्चे तू रोज़ दूध में पानी मिलाकर कितना बड़ा पाप करता है। अगले जन्म में तू भैंसा बनेगा !
अब्बू : नाराज़ मत हो गोलू भैया। मैं तो दोहरा पुण्य कमा रहां हूँ।
मोनू: कैसे?
अब्बू : सभी धर्मों में पानी पिलाना पुण्य का काम माना गया है।
मोनू: अरे भैया तो पानी पिलाना, यूँ दूध में पानी मिलकर क्यों बेच रहा है?
अब्बू : आप ही बताओ अगर तीस लीटर दूध में पानी न मिलाऊँ तो तीस घरों तक दूध कैसे पहुंचेगा? उनका ख्याल करके ही तो मैं दूध में पानी मिलता हूँ।
मोनू : ये पकड़ इस महीने के पैसे।
अब्बू : ये क्या आठ सौ रूपये। मेरे तो सोलह सौ रूपये बनते हैं।
मोनू: ये दूध के हैं। बाकी पानी द्वारा आपके पुण्य कमाने के पैसे देकर मैं क्यों पाप का भागी बनूँ?😜😂😂😂😛🤣