जब भी किसी उपचार या इम्यूनिटी बूस्टर की बात आती है, तो एलोवेरा और अश्वगंधा के बाद जो सबसे चर्चित नाम है, वो है- गिलोय. गिलोय, देश के लगभग हर हिस्से में पहचानी जाती है. खासतौर पर कोविड-19 के बाद तो इसका उपयोग 77 प्रतिशत बढ़ गया है.
गिलोय एक बेल है. ये आमतौर पर जंगलों, खेतों की मेड़ों और पहाड़ों की चट्टानों पर पाई जाती है. हालांकि, कोविड-19 के बाद इसकी खेती भी शुरू हुई है और लोग अपने घर के आसपास इसे उगाने लगे हैं. गिलोय की पत्तियों में प्रोटीन, कैल्शियम व फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है. इसलिए गिलोय के तने और पत्तियों को आयुर्वेद के नजरिए से काफी लाभदायक माना जाता है
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक इसमें निम्न रसायन होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद हैं.
अल्कालोइड्स
ग्लाइकोसाइड
लैक्टिक और पॉलीपेप्टाइड
स्टेरायड्स
गिलोय की पत्तियों और तने को पीसकर इसका जूस बनाया जा सकता है
तने और जड़ को उबालकर काढ़ा बना सकते है
काढ़े रूप में कितना इस्तेमाल करें इसके लिए किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर या एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें
आयुष मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक इसके अधिक सेवन को लेकर एक एडवाइजरी जारी की गई थी. इसमें कहा गया था कि विभिन्न रिपोर्ट्स इस बात को प्रमाणित करती हैं कि गिलोय बेहद गुणकारी है.
एडवाइजरी में गिलोय को सुरक्षित और प्रभावकारी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी माना गया है. साथ ही कहा गया है कि इसका सेवन किसी प्रमाणित, रजिस्टर्ड और शिक्षित आयुष फिजिशियन से करने के बाद ही करें.
जरूरत से अधिक कोई भी चीज हानिकारक होती है और गिलोय भी इसी श्रेणी में आती है. इसलिए अधिक मात्रा में गिलोय लेने से नुकसान भी हो सकते हैं.
गिलोय ब्लड शुगर कम करता है इसलिए डायबिटीज की दवा लेने वालों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए.
इसकी तासीर गर्म है इसलिए इसका जरूरत से अधिक सेवन गैस या पेट जलन की समस्या का कारण बन सकता है.
गिलोय, गुणकारी बेल है और इसके फायदे तभी मिलेंगे जब सीमित मात्रा में आयुर्वेदिक नियमों के अनुसार इसका उपयोग किया जाए.
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