आयुर्वेद अश्वगंधा को एक शक्तिशाली जड़ी बूटी के रूप में परिभाषित करता है जिसमें शरीर को ठीक करने और विभिन्न बीमारियों को ठीक करने की क्षमता होती है. वैज्ञानिक रूप से, इसे विथानिया सोम्निफेरा के रूप में जाना जाता है और इसे एडाप्टोजेन माना जाता है, जो एक ऐसा पदार्थ है जो शरीर को प्रतिक्रिया देने और तनाव के अनुकूल होने में मदद करता है. भारतीय जिनसेंग का उपयोग युगो से एक पारंपरिक भारतीय आयुर्वेदिक दवा के रूप में किया जाता रहा है और कहा जाता है कि यह न केवल दर्द और सूजन को कम करता है, बल्कि अनिद्रा के इलाज और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकता है.
कई आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार अश्वगंधा की जड़ों को नींद की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए जाना जाता है. शोधकर्ताओं का मानना है कि इससे नींद आ सकती है. अश्वगंधा में विशेष अर्क होते हैं जो मस्तिष्क के कार्य में सुधार कर सकते हैं. सुस्ती और याददाश्त की कमी को दूर कर सकता है.
अश्वगंधा एक ‘ईश्वरीय वरदान’ है, विशेष रूप से ‘बढ़ती चिंता और जटिल तनाव पर ब्रेक लगाने के लिए’. अश्वगंधा में एडाप्टोजेन होता है, जो शरीर को तनाव से निपटने में मदद करता है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह तनाव के मध्यस्थों जैसे हीट शॉक प्रोटीन, कोर्टिसोल और तनाव-सक्रिय सी-जून एन-टर्मिनल प्रोटीन किनेज को नियंत्रित करने में मदद करता है.
यह बढ़ती उम्र के बच्चों और 40 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों के लिए एक अच्छी औषधी है. यह मस्तिष्क में नाइट्रिक एसिड का उत्पादन बढ़ाने का काम करता है, जो शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाता है. अश्वगंधा में कई एंटी इंफ्लेमेट्री और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो दिल की सेहत और पाचन स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं.
यह भी पढे –
हल्दी सिर्फ एंटीऑक्सीडेंट ही नहीं है बल्कि कैंसर समेत इन बीमारियों में भी है काम की चीज