गाँव के एक विद्यालय से….
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अध्यापिका ने मोनू से सवाल किया बताओ 15अगस्त को हमे क्या मिली थी ?
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मोनू – मेडम छोटे से कटोरे मे ज़रा सी. *बूँदी *😜😂😂😂😛🤣
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यकीन मानिये पंजाबी भाषा से कुछ भी हो सकता है!
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टीचर मोनू से: ‘दिवाली’ के बारे कुछ बताओ?
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मोनू: ये है ‘दिवाली’ का इतिहास, इक वार इक मुण्डा सी। उसदा नाम हैप्पी सी। ओ अपने कन्ना विच वालियाँ पांन्दा सी। इक दिन उस दी वाली गुम गई। उसने बहुत लब्बी पर नही मिली पर थोड़ी देर बाद किसी होर मुंडे नू उस दी वाली मिल गई। लोक्का ने उस तो पूछया कि एह की है? ताँ उसने कहा कि एह ‘हैप्पी दी वाली’ है।
बस उस दिन तो सारे ‘हैप्पी दिवाली’ मनाने लग गये।😜😂😂😂😛🤣
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मैडम मोनू से :- तेरी कॉपी और पेन कहाँ है..??
मोनू :- मेम जबसे आपको देखा, क्या कॉपी और क्या पेन,
तेरे मस्त-मस्त दो नैन, मेरे दिल का ले गये चैन, खो गई कॉपी, गुम गया पेन!😜😂😂😂😛🤣
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एक रफ-टफ शक्लोसूरत वाला नौजवान बस की कतार तोडकर जब बस
में चढने की कोशिश करने लगा तो कंडक्टर ने टोका – ‘ऐ भाई, चल पीछे
लाइन में खड़ा हो जा !
नौजवान ने गरजकर कहा – ‘लाइन में खड़े हो जाओ तुम। मैं तो ऐसे ही
चढूँगा।
कंडक्टर ने पूछा – ‘क्यों भाई, तू क्या लाट साहब का बच्चा है?
नौजवान ने सीना फुलाकर कहा – ‘ओए ! शेर का बच्चा हूँ मैं, शेर का
बच्चा ।
कंडक्टर ने प्रेम से कहा – ‘हाँ भाई लगता तो है पर एक बात तो बता ।
तेरी मम्मी चिडियाघर गई थी? या शेर तेरे घर आया था। ऐं?😜😂😂😂😛🤣