सिरसा (एजेंसी/वार्ता) हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग (डब्ल्यूएससीबीसी) के तीन अधिकारियों मुख्य लेखा अधिकारी अमिता गोयल, सांख्यिकीय अधिकारी बिशन और उपाधीक्षक ओम प्रकाश को ‘मुख्यमंत्री सामाजिक समरसता अंतरजातीय विवाह शगुन योजना’ के 1500 मामलों में अधिसूचित सेवाओं के वितरण में विलम्ब करने के संबंध में 5,00,000 रुपये का कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
आयोग के प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि सिरसा की किरण रानी की मुख्यमंत्री सामाजिक समरसता अंतरजातीय विवाह शगुन योजना का लाभ लेने में एक साल से अधिक की देरी होने की एक शिकायत प्राप्त हुई थी। हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने तुरंत शिकायत का संज्ञान लिया और मामले के संबंध में जिला कल्याण अधिकारी सिरसा से तत्काल रिपोर्ट मांगी।
उन्होंने बताया कि विभाग की लेखा शाखा के प्रस्तुतीकरण के माध्यम से यह स्पष्ट हुआ कि जुलाई 2022 से डब्ल्यूएससीबीसी विभाग से लंबित लाभों को वितरित करने के लिए वित्त विभाग हरियाणा को अतिरिक्त बजट की मांग भेजी गई थी। आयोग ने जांच में पाया कि कई लाभार्थी अभी भी लंबित लाभों के वितरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 की धारा 17 (2) के तहत आयोग को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए मुख्य लेखा अधिकारी अमिता गोयल, सांख्यिकीय अधिकारी बिशन और उप अधीक्षक ओम प्रकाश को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। हरियाणा सेवा का अधिकार तय मापदडों के अनुसार प्रत्येक मामले में 20,000 रुपये के अुनसार यह राशि करोड़ों रुपये में पहुंच जाती है।
आयोग इस संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी कर यह स्पष्टीकरण चाहता है कि सेवाओं की देरी के लिए इन अधिकारियों व कर्मचारियों पर 5,00,000 रुपये जुर्माना क्यों न लगाया जाए। गौरतलब है कि यह योजना अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की अधिसूचित योजना है
जिसके अनुसार गैर-अनुसूचित जाति लडक़ी या लड़के की शादी अनुसूचित जाति की लडक़ी या लडक़े के साथ होने पर जोड़े को 2,50,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह राशि तीन साल की लॉक इन अवधि के लिए जोड़े के संयुक्त खाते में जमा की जाती है।
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