जयपुर, 15 जनवरी (वार्ता): राजस्थान में किसान खेत को पानी, फसल को दाम के लिए आगामी 28 फरवरी को विधानसभा का कूच करेंगे। किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया । श्री जाट ने बताया कि 28 फरवरी को किसान चारों तरफ के मार्गों से पैदल चलकर विधानसभा का कूच करेंगे।
उन्होंने बताया कि इसके लिए विभिन्न स्थानों से किसान 28 फरवरी से चार दिन पहले जयपुर के लिए कूच करेंगे । उन्होंने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है। संविधान में कृषि राज्य का विषय हैं। प्रथम पंचवर्षीय योजना में कृषि एवं सिंचाई पर 31 प्रतिशत व्यय करने का प्रावधान किया गया था । इसी से भाखड़ा नागल एवं इंदिरा गांधी नहर परियोजना जैसी वृहद परियोजनाएं धरातल पर उतरी । जिससे किसानों के चेहरों पर मुस्कान आई तथा राज्यों के राजस्व में बढ़ोतरी हुई । खेत को पानी से देश की मिट्टी सोना उगलती है तथा उत्पादन में जादू होता है। इसके उपरांत भी बजटों में सिंचाई को प्राथमिकता प्राप्त नहीं हुई। देश की 60 प्रतिशत तथा राजस्थान की 70 प्रतिशत भूमि सिंचाई से वंचित है।
इसी क्रम में फसलों के दाम प्राप्त हो जाये तो किसान ऋण लेने वाला नहीं रहेगा वरन ऋण देने वाला बन जाएगा। श्री जाट ने फसलों के दाम के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी का कानून होना आवश्यक बताते हुए कहा कि इसके लिए 12 वर्ष पूर्व जयपुर जिले के दूदू से आरंभ आंदोलन देशव्यापी बनकर सर्वाधिक चर्चित है। इस प्रकार का कानून राजस्थान सरकार भी बना सकती है। उन्होंने कहा कि कृषि उपज मंडी अधिनियम में इस प्रकार के प्रावधान है किंतु वे बाध्यकारी (आज्ञापक) नहीं है।
इसके लिए एक शब्द बदलने तथा “नीलामी बोली न्यूनतम समर्थन मूल्य से ही आरंभ” होगी जोड़ने से किसानों को उनकी उपजों के लाभकारी दाम प्राप्त होने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। उन्होंने कहा कि बजट में सिंचाई परियोजना को प्राथमिकता के आधार पर राशि आवंटित की जा कर पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को पूरा किया जाना चाहिये । इसी के साथ इस परियोजना में साबी एवं अन्य नदियों को भी जोड़ा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हरियाणा के साथ हुए समझौते की पालना में यमुना का पानी सीकर ,झुंझुनूं एवं भरतपुर में लाने के लिए सार्थक प्रयास किए जाने चाहिए । श्री जाट ने कहा कि बारां जिले की बहुउद्देशीय परवन सिंचाई परियोजना एवं पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित कराने के लिए विधानसभा में संकल्प लाया जाना चाहिए।
पाकिस्तान सहित पड़ोसी राज्यों में व्यर्थ बहकर जा रहे पानी तथा विद्यमान सिंचाई परियोजनाओं के पानी का सही प्रकार से उपयोग के लिए भी कार्य योजना बनाकर उसके सफल क्रियान्वयन की जरुरत है।
उन्होंने कहा कि किसानों की आय की सुधार के लिए प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाली हानि की भरपाई के लिए प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये का प्रावधान करने एवं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की नीति एवं क्रियान्वयन को प्रभावी बनाने की भी उतनी ही आवश्यकता है । इसी प्रकार समय पर खाद,बीज, किटनाशक, बिजली-पानी की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जानी चाहिए ।
– एजेंसी