किसानों को उपज का सही मूल्य मिले, उनकी समृद्धि बढ़ाने के प्रयास तेज हों: मुर्मु

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने किसानों की गरीबी की स्थिति को रेखांकित करते हुए शुक्रवार को कहा कि उनको उसकी उपज का सही मूल्य दिलाने और उनकी समृद्धि बढ़ाने के प्रयास अधिक तेज करने की जरूरत पर बल दिया।

श्रीमती मुर्मु ने सरकार द्वारा इस दिशा में उठाए गए विभिन्न कदमों का उल्लेख करते हुए विश्वास जताया कि वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को पूरने की यात्रा में देश का किसान अग्रदूत होगा। राष्ट्रपति यहां भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) के 62वें दीक्षांत समारोह में दीक्षांत भाषण दे रही थीं।

उन्होंने कहा, “हम सब किसान एवं कृषि संबंधी समस्याओं से अवगत हैं। हमारे कितने ही किसान भाई-बहन आज भी गरीबी में जीवन-यापन कर रहे हैं। किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिले, वह अभावग्रस्त जीवन से समृद्धि की ओर बढ़े, इस दिशा में हमें और भी तत्परता से आगे बढ़ाना होगा।”
राष्ट्रपति ने कहा, “मुझे पूर्व विश्वास है कि कि वर्ष 2047 में जब भरत विकसित राष्ट्र बन कर उभरेगा, तब भारत का किसान इस यात्रा का अग्रदूत होगा।”
उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में काफी वृद्धि की है ताकि किसानों को आय सुरक्षा प्रदान की जा सके। उन्होंने कहा कि जैविक खेती को बढ़ा देने से मृदा-स्वास्थ्य में सुधार हुआ है।

किसान सम्पदा योजना से देश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ किसानों को बेहतर मूल्य पाने में सहायता मिलेगी और यह किसानों की आमदनी दोगुना करने दिशा में एक बड़ा महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार किसानों की आय को बढ़ाने, नवीन कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए, सिंचाई व्यवस्था सुचारु रूप से उपलब्ध करने के लिए सकरार बहुत तेजी से कार्य कर रही है। उन्होंने इसी संदर्भ में मृदा स्वास्थ्य कार्ड और फसल बीमा योजना का भी उल्लेखनीय किया।

कृषि क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “ऐसा कहा जाता है कि किसान के हल की नोक से खींची गयी रेखा सभ्यता के पूर्व के समाज और विकसित समाज के बीच की रेखा है। किसान न केवल विश्व के अन्नदाता हैं ,बल्कि सही अर्थों में जीवनदाता हैं।”

श्रीमती मुर्मु ने कहा कि भारत को खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का योगदान अद्वितीय है। उन्होंने कहा कि इस संस्थान ने न केवल कृषि से संबंधित अनुसंधान एवं विकास कार्यों को कुशलतापूर्वक किया है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि ऐसे अनुसंधान जमीन पर दिखें।
उन्होंने कहा, “यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि संस्थान ने 200 से अधिक नई प्रौद्योगिकियां विकसित की हैं। आईएआरआई ने 2005 और 2020 के बीच 100 से अधिक किस्में विकसित की हैं और इसके नाम पर 100 से अधिक पेटेंट हैं।”

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में एक बड़ी आबादी का जीविकोपार्जन खेती से होता है। भारत की सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का भी महत्वपूर्ण योगदान है। इसलिए यह सुनिश्चित करना काफी आवश्यक है कि हमारी अर्थव्यवस्था का यह आधार यथासंभव बढ़े और इसमें किसी तरह की कोई बाधा न आए।

– एजेंसी