विटामिन D का ज्यादा सेवन बन सकता हैं बीमारी का कारण

विटामिन डी हमारे सेहत के लिए कितना जरूरी है ये हम सभी जानते हैं इससे हड्डियों में मजबूती, दांतों में मजबूती, इसके साथ ही इम्यून सिस्टम भी मजबूत बनाने के लिए विटामिन डी की जरूरत होती है. सही मात्रा में विटामिन डी ना मिले तो हड्डियां कमजोर हो जाती है और हड्डियों से जुड़ी कई सारी बीमारियों के होने की संभावना बनने लगती है. यह बातें एक तरफ है,वहीं दूसरी तरफ हम भारतीय लोगों को अक्सर जब भी हड्डियों में दर्द की शिकायत होती है तो अधिकांश लोग यही सोचते हैं कि ये विटामिन बी की कमी के कारण हो रहा है. ऐसे में बजाय डॉक्टर से दिखाने के खुद ही विटामिन डी का डोज लेने लगते हैं, नतीजन विटामिन डी ओवरडोज होकर टॉक्सिक बन जाता है और हमें हाइपरविटामिनोसिस की समस्या हो जाती है. और फिर ये टॉक्सिक ब्लड में शामिल होकर किडनी तनाव और ना जाने कितनी समस्या पैदा कर सकती है.

साकेत अस्पताल के एक डॉक्टर इस बारे में बात करते हुए बताते हैं कि उनके पास एक मरीज आया, जो गुर्दे की समस्या, भ्रम, कंफ्यूजन हृदय की समस्या के से पीड़ित था, जब उसकी जांच की गई तो पाया गया कि वो विटामिन डी की खुराक खुद से ले रहा था, जिसकी वजह से वह इन सारी समस्याओं से परेशान था. डॉक्टर बताते हैं कि उसके सिस्टम से टॉक्सिक पदार्थ को बाहर निकालने में बहुत समय लगा, वो बताते हैं कि लोगों को यह नहीं पता कि जब लोग धूप में रहते हैं या फोर्टीफाइड भोजन करते हैं तो आमतौर पर विटामिन डी की कमी से जो समस्या है वह ठीक हो जाती है, और दवाई लेने की जरूरत नहीं पड़ती.

क्या है हाइपरविटामिनोसिस डी ?

विटामिन डी टॉक्सिटी या हाइपरविटामिनोसिस डीे एक दुर्लभ और खतरनाक स्थिति है. ये तब विकसित होती है जब आपके शरीर में विटामिन डी की मात्रा बहुत ज्यादा हो जाती है. ये समस्या कभी भी डाइट लेने या सन एक्स्पोज़र से नहीं होती है बल्कि आम तौर पर विटामिन डी की गोलियों की बहुत ज्यादा खुराक लेने से होती है. ये विटामिन डी शरीर के लिए टॉक्सिक बन जाता है और शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है. एक्सपर्ट के मुताबिक कुछ खाद्य पदार्थों में विटामिन डी की भरपूर मात्रा होती है लेकिन यह उतनी ज्यादा नहीं होती कि शरीर को नुकसान पहुंचाए. सूरज की रोशनी के संपर्क में आने से भी विटामिन डी बनता है, लेकिन उसे शरीर नियंत्रित करने में सक्षम होता है. लेकिन हाइपरविटामिनोसिस की समस्या तब होती है,जब आप विटामिन डी के लिए कोई मेडिसिन लेते हैं.

कैसे पता चलेगा कि हाइपरविटामिनोसिस है?

शरीर में विटामिन डी की मात्रा बहुत अधिक होने से ब्लड में कैल्शियम का निर्माण अधिक होने लगता है, इसे हाइपरकैल्सीमिया कहते हैं, ऐसा होने पर अक्सर वोमिट करने का मन करता है, जी मचलाने लगता है और उल्टी होने लगती है. अधिक मात्रा में विटामिन डी का सेवन ब्लड में इसकी मात्रा को बढ़ा देता है, जो हार्ट और किडनी तक भी पहुंच जाता है, इससे किडनी में कैल्शियम स्टोन हो सकता है. विटामिन डी इंटॉक्सिकेशन से हड्डियों में भी तकलीफ होने लगती है.

एक व्यक्ति में कितनी विटामिन डी की मात्रा होनी चाहिए?

एक्सपर्ट के मुताबिक हर दिन विटामिन डी की 4000 आईयू ली जानी चाहिए, इतनी मात्रा को हमारा शरीर बर्दाश्त कर सकता है. इससे हाइपरविटामिनोसिस नहीं हो सकता. 14 से 70 साल की महिला को प्रतिदिन विटामिन डी 600 आईयू मात्रा में लेनी चाहिए. अगर कोई व्यक्ति कई महीनों तक हर दिन विटामिन डी की 60,000 आईयू लेने लगता है तो विटामिन डी की मात्रा विटामिन डी टॉक्सिटी के रूप में बदल जाती है, इसलिए जरूरी है कि विटामिन डी के सेवन से पहले अपने डॉक्टर से बातचीत करें.

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