गोलूसिंह बार में बैठे हुये सबको झिला रहे थे कि उनकी बहुत पहुँच है, और वो सबको जानते हैं. सन्तासिंह ने सोचा चलो देखते हैं. उसने गोलूसिंह से १० रू की शर्त लगाई कि बार में अब जो भी पहला व्यक्ति आयेगा वो बन्तासिंह को नहीं पहचानता होगा.
तभी एक आदमी बार में घुसा और घुसते ही बन्तासिंह को देख कर आवाज दी – हे गोलूसिंह, कैसे हो?
शर्त हारने के बाद सन्तासिंह बोला कि चलो १०० रू की शर्त, जो भी सड़क पर पहला व्यक्ति मिलेगा वो तो तुम्हे नहीं जानता होगा.
दोनो सड़क पर निकले, एक आदमी पास से गुजरते हुये बोल गया – बन्तासिंह क्या हाल चाल?
खीज कर सन्तासिंह बोला कि शर्तिया अपने प्रधानमंत्री तो तुम्हे नहीं पहचानते होंगे. चलो १००० रू की शर्त.
दोनो प्रधानमंत्री निवास पहुँचे, वहाँ पहुँचते ही वहाँ तैनात सिपाही चिल्लाया – गोलूसिंह, तुम्हे पता है ना कि कोई भी इस तरह यहाँ नहीं आ सकता?
तभी प्रधानमंत्री का काफ़िला वहाँ से निकला, प्रधानमंत्री के सचिव ने चलती गाड़ी से हाथ हिला कर कहा – ओ गोलूसिंह, बडे दिनों बाद दिखे?
सन्तासिंह का दिमाग खराब. उसपर बन्तासिंह बोले, देखो मैं अभी जाके प्रधानमंत्री के साथ उपर उनकी बालकनी में आता हूँ.
गोलूसिंह कहे अनुसार प्रधानमंत्री के साथ उपर बाल्कनी में नजर आये. उन्होने नीचे सन्तासिंह को देख कर हाथ हिलाया और नीचे आये.
नीचे आकर देखा कि सन्तासिंह बेहोश पडे थे, सन्तासिंह को होश में लाकर पुछा कि क्यों मुझे प्रधानमंत्री के साथ देखकर बेहोश हो गये?
सन्तासिंह बोले – नहीं, जब तुम उपर थे तो कोई मेरे पीछे से आया और उपर इशारा कर के पुछा कि – ये गोलूसिंह बालकनी में किसके साथ खड़ा है?😜😂😂😂😛🤣
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