तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं ने शनिवार को “धन के बदले सवाल” मामले में पार्टी सांसद महुआ मोइत्रा के सदन से निष्कासन की आचार समिति की सिफारिश पर लोकसभा में चर्चा की मांग की।
संसद का शीतकालीन सत्र चार दिसंबर से शुरू हो रहा है और 22 दिसंबर तक सदन की 15 बैठक होंगी। टीएमसी नेता के निष्कासन की सिफारिश करने वाली लोकसभा की समिति की रिपोर्ट सत्र के पहले दिन सदन में पेश किए जाने के लिए सूचीबद्ध है।
शनिवार को सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में टीएमसी प्रतिनिधियों ने दावा किया कि समिति की रिपोर्ट सदन में पेश किए जाने से पहले “बेशर्मी से” सार्वजनिक कर दी गई थी।
लोकसभा और राज्यसभा में टीएमसी के संसदीय दल के नेता क्रमश: सुदीप बंद्योपाध्याय और डेरेक ओ ब्रायन ने बैठक में इसका प्रतिनिधित्व किया।
सूत्रों के मुताबिक, बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि कुछ सांसद पहले से ही निलंबित हैं उन्होंने मीडिया में रिपोर्टें देखी हैं कि टीएमसी के एक सदस्य को “शीघ्र ही निष्कासित किया जाएगा”।
टीएमसी नेताओं ने रिपोर्ट पेश करने से पहले लोकसभा में इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की। उन्होंने कहा कि चर्चा के बाद सदन को निर्णय लेना चाहिए।
नियमों के मुताबिक, मोइत्रा को तभी निष्कासित किया जा सकता है जब सदन समिति की सिफारिश के पक्ष में वोट करे।
समिति ने नौ नवंबर को एक बैठक में मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश संबंधी अपनी रिपोर्ट अंगीकार की थी।
बैठक में बंद्योपाध्याय और ओ’ब्रायन ने सरकार पर सर्वदलीय बैठकों को “समय की बर्बादी” करने वाली कवायद में बदलने का भी आरोप लगाया। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सर्वदलीय बैठकों में चर्चा किए बिना संसद में विधेयक ला रही है।
उन्होंने सरकार से भादंवि, दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम को बदलने वाले तीन विधेयकों को पारित नहीं करने का भी आग्रह किया।
टीएमसी नेताओं ने पश्चिम बंगाल के लिए लंबित मनरेगा भुगतान का मुद्दा भी उठाया और आरोप लगाया कि संघीय ढांचा खतरे में है। उन्होंने बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की मांग की।
– एजेंसी