अब्बू (सुबह के वक्त चाय पीते हुए): बड़े भाई ये पति और चायपत्ती में क्या फर्क है?
भोलू (बेहद मरे हुए अंदाज में, गरम चाय को फूंकते हुए): चायपत्ती जो होती है एक बार में उबाल कर उसका सारा रंग उड़ जाता है। जबकि पति का रंग पत्नी के तानों और पिटाई से जीवन भर उडता रहता है।😜😂😂😂😛🤣
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अब्बू : बड़े भाई आज इतनी सुबह-सुबह सज-धज कर कहाँ चल दिए?
भोलू(अपने कपड़ों पर सेंट छिड़कते हुए): आज तो वैलंटाइन डे है छोटे। मैंने भी अपनी गर्ल-फ्रैंड को डेट दे रखी है। पूरा दिन घूमेंगे, फिरेंगे, ऐश करेंगे और क्या?
अब्बू : बड़े भइया धीरे बोलो अगर भाभी जी ने सुन लिया तो आज ही “बेलनखाईंग डे” भी हो जायेगा।😜😂😂😂😛🤣
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भोलू: अब्बू तुम तो संत अन्थोनी स्कूल में पढ़ते हो। तुम्हारी अंग्रेजी तो अच्छी होगी ही। अच्छा बताओ “बैंड और हसबैंड” में क्या फ़र्क है?
अब्बू : वैरी सिंपल … वादकों द्वारा कुछ ख़ास मौकों पर बजाये गए यंत्र को “बैंड” कहते है। जबकि पत्नियों द्वारा कभी भी, कहीं भी बजाये गए व्यक्ति को हसबैंड कहते हैं।😜😂😂😂😛🤣
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भोलू(अपने पेट पर हाथ फेरते हुए): मोटे आदमी के सामने एक समोसा। ये तो वही बात हो गई “हाथी के मुंह में खीरा” !
अब्बू : भोलूभाई, हाथी के मुंह में खीरा नहीं। कहावत तो दूसरी है — ऊंट के मुंह में जीरा।
भोलू(थोड़ा गुस्से में): अबे घोंचू, कहावत दूसरी हो या तीसरी, बात तो एक ही है। पेट तो खाली ही रहा।😜😂😂😂😛🤣