राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि लोकतंत्र के इस मंदिर को संवाद, बहस और विचार-विमर्श का मंच बनाकर प्रासंगिकता बनाए रखने का प्रयास किया गया है।
श्री धनखड ने गुरुवार को राज्यसभा में सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों के विदाई कार्यक्रम में कहा कि यह हम सभी के लिए एक भावनात्मक अवसर है। सदन के 68 सहयोगियों को विदाई दी जा रही है। ये सदस्य अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद फरवरी से मई के बीच सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि सेवानिवृत्त होने वाले सदस्य भी भारत और प्रत्येक भारतीय के हित को आगे बढ़ाने के अपने प्रयासों के लिए गहन संतुष्टि की भावना के साथ जाएंगे।
सभापति ने कहा कि संसद के ये पवित्र कक्ष लोकतंत्र के मंदिर का गर्भगृह हैं। इस सदन के मंच से अपनी मातृभूमि की सेवा करने में सक्षम होना एक विशिष्ट सम्मान और दुर्लभ विशेषाधिकार है। यह सदन हमारे जीवंत लोकतंत्र के साझा किए गए विचारों की विविधता का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन साथ ही यह हमारे उद्देश्य की एकता को भी दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सभी सदस्यों ने परिवर्तनकारी घटनाओं को प्रभावित करने में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया है। इस अवधि में सदन में अनुच्छेद 370 हटाना तथा लोकसभा और राज्य विधानमंडल में महिलाओं के लिए आरक्षण देना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि इसी अवधि में भारतीय भाषाओं का प्रयोग बढ़ा। सदन में चर्चा के दौरान पहली बार डोगरी, कश्मीरी, कोंकणी और संथाली का इस्तेमाल किया गया। सदस्यों के लिए 22 भाषाओं में से किसी एक में बोलने की व्यवस्था की गई। उप सभापति के पैनल में एक नया बदलाव आया और कई पहली बार सदस्यों ने सदन की अध्यक्षता की।
सेवानिवृत्त सहयोगियों के समृद्ध योगदान ने चर्चा की गुणवत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि की है जो राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण है। उनकी सक्रिय और रचनात्मक भागीदारी से सदन और उसकी समितियाँ काफी समृद्ध हुई हैं। श्री धनखड़ ने कहा कि राज्यसभा की दो विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समितियों के अध्यक्षों श्री सुशील कुमार मोदी और डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी तथा एक स्थायी समिति के सदस्य डॉ. सीएम रमेश का कार्य उल्लेखनीय रहा। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त होने वालों में पाँच महिला सदस्य जया बच्चन, वंदना चव्हाण, कांता कर्दम, डॉ. सोनल मानसिंह और डॉ. अमी याजनिक को उप सभापति पैनल में शामिल होने का अवसर मिला।
सभापति ने कहा कि सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों में नौ मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, नारायण राणे, अश्विनी वैष्णव, डॉ. मनसुख मांडाविया, भूपेन्द्र यादव, परषोत्तम रूपाला, राजीव चन्द्रशेखर, वी. मुरलीधरन और डॉ. एल. मुरुगन शामिल हैं। इन सभी ने अपने-अपने मंत्रालयों को नई ऊंचाइयों पर ले जाकर इस देश की विशिष्ट सेवा की है।
– एजेंसी