अब्बू (अखबार का नया अंक दिखाते हुए): संपादक महोदय मोनू जी, पूरा अखबार छपने के लिए तैयार है। बस अंतिम पृष्ठ पर एक कॉलम में सात-आठ पंक्तियों की जगह बच गई है। क्या करूँ ? कहाँ से ख़बर लाऊँ ?
मोनू (झल्लाते हुए): अबे इतनी छोटी-सी बात के लिए ख़बर लाने की क्या ज़रूरत है? जो मैं कहता हूँ वो छाप।
अब्बू : बोलो।
मोनू : रात दरियागंज में बम फटने से छः मौतें। इसको हैडिंग बना और नीचे पंक्तियाँ लिख। कल रात्रि के द्धितीय प्रहर में दरियागंज के फुटपाथ पर बम विस्फोट हुआ जिसमे एक ओबेसी और पांच मवेशी मारे गए।
अब्बू : अब भी दो लाइनों की जगह बच रही है।
मोनू : बाद में तहकीकात करने पर मालूम चला कि खबर झूठी थी। महज अफवाह थी। इसे खबर के नीचे कोष्ठक में छापना।😜😂😂😂😛🤣
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मोनू-अब्बू (दोनों सामने अनजान बुढ़िया को देखते हुए एक साथ बोले) : ताई, जयराम जी की।
बूढी (भड़कते हुए): अरे नाशपीटों, जयराम की तो मैं घरवाली हूँ। ताई तो तुम्हारी लगूंगी।
मोनू-अब्बू (दोनों फिर से एक साथ बोले) : वही तो कह रहे हैं। ताई प्रभु राम जी की।
बूढी (पुनः भड़कते हुए) : अरे कन्जरों, प्रभुराम जी तो मेरे ससुर जी थे। मैं उनकी ताई कैसे हुई?
मोनू-अब्बू (दोनों फिर से एक साथ बोले) : अरे वही तो कह रहे हैं। ताई भगवान राम जी की।
बूढी (छड़ी उठाते हुए) : अरे मूर्खों तुम ऐसे मानोगे। मेरे सारे रिश्तेदारों के नाम लिए जा रहे हो। भगवान राम तो मेरे चाचा ससुर हैं।😜😂😂😂😛🤣