एक्जिमा के ऐसे मरीज जिनकी बीमारी काफी ज्यादा बढ़ गई है तो ऐसे में डॉक्टर इलाज के तौर पर डाइल्यूटेड ब्लीच बाथ का सहारा लेते हैं. इलाज का यह तरीका केवल डर्मेटोलॉजिस्ट या डॉक्टर की देखरेख में किया जाता है. हालांकि इलाज का यह तरीका एग्जिमा के सभी मरीजों पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. आइए जानते हैं एक्जिमा पीड़ितों पर ये कैसे और क्यों काम करता है. इसे आजमाने से पहले आपको इन बातों का पता होना चाहिए. एक्जिमा एक जेनेटिक कंडिशन है जिसमें व्यक्ति की स्किन पर गर्म पानी या साबुन कुछ भी लगाएं तो ट्रिगर्स करने के साथ-साथ सूजन भी हो जाती है. स्किन डैमेज होने के साथ खुजली भी होने लगता है. और उसमें कीटाणु भी पनपने लगते हैं. जिसकी वजह से आगे जाकर और भी दिक्कत शुरू हो जाता है.
इम्पेटिगिनेशन
स्टैफ जर्म्स स्किन और डीपर रिस्पॉन्स का कारण बनते हैं जिसकी वजह से एक्जिमा की हालत बिगड़ जाती है. स्किन स्टैफ की हालत में एक्जिमा ठीक करने में मदद मिलती है. जब एक्जिमा बहुत ज्यादा एक्टिव होता है तो स्किन लिक्विड से पूरी तरह से भर जाती है. बैक्टीरिया का एक्जिमा में बसना और इंफेक्शन को बढ़ाना आसान होता है. इस पूरे प्रोसेस को इम्पेटिगिनेशन कहा जाता है.
एक्जिमा के बिना होती है तो उसे इम्पेटिगो कहते हैं. एक्जिमा की बैक्टीरिया को भगाने के लिए डॉक्टर उसे बार-बार ब्लीच से धोने की सलाह देते हैं, पानी और सोडियम हाइपोक्लोराइट का घोल कीटाणुओं को तेजी से मारने में कामयाब होता है. रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि सोडियम हाइपोक्लोराइट स्किन की एलर्जी और सूजन को कम करने का काम करता है.
ऐसे करें ब्लीच बाथ का इस्तेमाल
नहाने से पहले ब्लीच का पतला घोल बनाएं. ताकि आपकी स्किन पर पड़े भी तो सेफ रहे. 150 लीटर गुनगुन पानी में आधा कप ब्लीच डालें. फिर आराम से उस पानी से नहाएं.
नहाने से पहले ब्लीच को 10 मिनट तक भिगो कर रखे. अपने हाथों के जरिए उस पानी को जहां एक्जिमा है वहां लगाएं. कभी भी ब्लीच वाले में पानी में अपने स्किन को रगड़े नहीं. नहीं तो स्थिति खराब हो सकती है.
ब्लीच बाथ लेने के बाद जिस बॉडी पार्ट में एक्जिमा हुआ है उसे ठंडे पानी से अच्छे से धो लें. ताकि ब्लीच के सभी निशान हट जाएं. नहीं तो स्किन पर इससे जलन हो सकते हैं. बाथ लेने के तुरंत बाद अपने स्किन पर मॉइस्चराइजर या इमोलिएंट लगाएं. स्किन पर नमी होनी चाहिए ताकि स्किन हाइड्रेटेड रहे.
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