डॉक्यूमेंट्री ‘गोइंग पॉली’ इंसानों के रिलेशनशिप की पेचीदगियों का पता लगाती है। कहानी मुंबई और कोलकाता के व्यक्तियों के जीवन के बारे में बताती है, जो प्यार, वफादारी और सामाजिक स्वीकृति के मुद्दे को उठाती है।
डॉक्यूमेंट्री में कई इंटरव्यूज और कैंडिड मोमेंट्स शामिल हैं। यह ईर्ष्या, नैतिकता और विरासत जैसे मुद्दों को संबोधित करते हुए, एक इंसान के मल्टीपल रिलेशनशिप्स की जटिलताओं को दिखाता है। पॉली शब्द पॉलीऐमरस से लिया गया है जिसका मतलब मल्टीपल पार्टनर है।
डॉक्यूमेंट्री डॉक्यूबे पर स्ट्रीमिंग के लिए उपलब्ध है। यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिसका उद्देश्य दर्शकों को पॉलीऐमरी की गहरी समझ प्रदान करना है, एक ऐसा टॉपिक जिसे अक्सर मुख्य रूप से मोनोगैमस सोसाइटी में नकार दिया जाता है।
डॉक्यूबे के सीओओ गिरीश द्विभाश्याम ने कहा, ”भारत में पॉलीऐमरस रिलेशनशिप एक ऐसा विषय है, जिसपर हर किसी को बात करने की जरुरत है, लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि हमें इस पर शायद ही कोई फिल्म या डॉक्यूमेंट्री मिले। इस विषय से जुड़े प्रतिबंध ने हमें आकर्षित किया और हमें अपने दर्शकों के लिए इसे और अधिक जानने के लिए प्रेरित किया।”
वाइस स्टूडियोज द्वारा निर्मित यह फिल्म दर्शकों को अलग-अलग बैकग्राउंड और सभी उम्र के अलग-अलग ग्रुप्स के पॉलीऐमरस व्यक्तियों के जीवन की एक झलक पेश करती है।
वाइस इंडिया के निदेशक अनिल चौधरी ने बताया, “हमने पॉलीऐमरस रिलेशनशिप की बारीकियों और उनके महत्व को समझने के लिए व्यापक शोध किया। हमारा लक्ष्य पक्षपात या जजमेंट से मुक्त, पॉलीऐमरी का एक संतुलित चित्रण प्रस्तुत करना था।”
डॉक्यूमेंट्री पॉलीऐमरस रिलेशनशिप में सहमति की भूमिका की भी जांच करती है। रिसर्च और फिल्मांकन के दौरान कई चुनौतियों का सामना करने के साथ, प्लेटफॉर्म को उम्मीद है कि फिल्म प्यार, रिश्तों और नॉन-ट्रेडिशनल पार्टनरिशप्स की सामाजिक स्वीकृति के बारे में चल रही बातचीत में योगदान देगी।
– एजेंसी