लीकोरिस रूट यानी मुलेठी को लोग मीठी जड़ के तौर पर भी जानते हैं. लोगों के बीच मुलेठी खांसी को ठीक करने वाली ‘दवाई’ के तौर पर मशहूर है. लेकिन इसके कई सारे ऐसे फायदे हैं, जिनसे लोग अनजान हैं. मुलेठी को मीठी जड़ इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसका स्वाद मीठा होता है. सिर्फ इतना ही नहीं इसमें कैल्शियम, ग्लाइसीराइजिक एसिड, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, प्रोटीन और फैट की भी मौजूदगी है.
मुलेठी का लंबे समय से आंखों की बीमारी, मुंह के रोग, गले के रोग, अस्थमा, हृदय रोग और घावों के इलाज के लिए किया जा रहा है. ये चीज कफ और पित्त तीनों दोषों को ठीक कर कई रोगों के इलाज में रामबाण का काम करती है. ये दिखने में किसी सूखी लकड़ी की तरह दिखती है, लेकिन इसके कई फायदे हैं. आयुर्वेद में भी मुलेठी के कई सारे फायदे बताए गए हैं.
मुलेठी के काढ़े से आंखों को धोने से आंखों के रोग दूर होते हैं. मुलेठी के चूर्ण में बराबर मात्रा में सौंफ का चूर्ण मिलाकर एक चम्मच शाम को खाने से आंखों की जलन खत्म होती है और आंखों की रोशनी भी बढ़ती है.
कान और नाक के रोगों में भी मुलेठी फायदेमंद होती है. मुलेठी और मुनक्का से पका हुआ दूध कान में डालने से कान के रोगों में लाभ होता है. छह छोटी इलायची, 25 ग्राम मिश्री और 3-3 ग्राम मुलेठी और शुंडी को मिलाकर बनाए गए काढ़े की 1-2 बूंद नाक में डालने से नाक के रोगों में आराम मिलता है.
मुंह के छालों की समस्या में मुलेठी के टुकड़े पर शहद लगाकर चूसने से लाभ होता है. मुलेठी को चूसने से खांसी और गले के रोग भी ठीक हो जाते हैं. सूखी खांसी में कफ उत्पन्न करने के लिए इसकी 1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में 3 बार चाटना चाहिए. मुलेठी को चूसने से हिचकी भी दूर हो जाती है.
आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि मुलेठी हृदय रोग में भी लाभकारी है. 3-5 ग्राम कुटकी चूर्ण और 15-20 ग्राम मिश्री को पानी में मिलाकर रोजाना नियमित सेवन करने से हृदय रोगों में लाभ होता है. इसके सेवन से पेट के रोगों में भी आराम मिलता है.
स्किन की बीमारियों के लिए भी मुलेठी काफी फायदेमंद होती है. मुलेठी का लेप मुंहासों पर लगाने से वे जल्दी ठीक हो जाते हैं. मुलेठी और तिल को पीसकर उसमें घी मिलाकर घाव पर लगाने से घाव ठीक हो जाता है.
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