क्या आप जानते हैं किन 10 बीमारियों में जरूर खाना चाहिए घी ,थायरॉइड से बचाता है देसी घी

घी हेल्दी फैट से भरपूर होता है. आप इन्हें गुड फैट्स भी कह सकते हैं. यही कारण है कि घी का सेवन करने से बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर नहीं बढ़ता बल्कि नसों की लचक यानी फ्लैग्जिब्लिटी और स्ट्रेंथ बढ़ती है. इसलिए हार्ट को हेल्दी रखने के लिए देसी घी खाने की सलाह दी जाती है, खासतौर पर गाय का घी खाने की. अब आप सोचेंगे कि बात तो थायरॉइड की हो रही है ये हार्ट डिजीज बीच में कहां से आ गई!

तो जनाब बात ऐसी है कि जिस तरह यह एक गलतफहमी है कि घी खाने से हार्ट की बीमारियों का खतरा बढ़ता है क्योंकि घी तो चिकनाई है, फैट है. इसी तरह यह भी एक बहुत बड़ा भ्रम है थायरॉइड होने पर घी का सेवन नहीं करना चाहिए. जबकि वास्तविकता यह है कि देसी गाय का घी शरीर के अंदर हॉर्मोनल इंबैलेंस को दूर करने का काम करता है. इस कारण यह थायरॉइड की समस्या को भी नियंत्रित करता है. आखिरकार थायरॉइड डिजीज भी तो हॉर्मोन्स के असंतुलन का परिणाम ही है ना. तो यहां आज आप घी से जुड़े बहुत सारे डाउट दूर कर लीजिए और जानिए कि घी खाने से कौन-सी बीमारियां दूर रहती हैं और कैसे घी बीमारियों को ठीक करने में भी मदद करता है.

कौन-सा घी है बेस्ट?

यहां हम आपको जिस घी के गुणों के बारे में बता रहे हैं, वह देसी गाय के दूध से बना शुद्ध देसी घी है. युवा पीढ़ी को इस बात की जानकारी भी काफी कम है कि गाय भी अलग-अलग नस्ल की होती हैं और हमारे देश में साथ ही आयुर्वेद में देसी गाय के घी का बहुत अधिक महत्व है. क्योंकि गुणों के मामले में यह अन्य सभी घी पर भारी पड़ता है.
देसी गाय का घी भी शुद्ध होना चाहिए.

घी के खाने के फायदे क्या हैं?

गाय के घी में ब्यूट्रिक एसिड (Butyric Acid)पाया जाता है. इसके सेवन से शरीर में पाई जाने वाली टी-सेल्स की संख्या में वृद्धि होती है. क्योंकि शरीर को ये कोशिकाएं बनाने में ब्यूट्रिक एसिड चाहिए होता है. टी-कोशिकाएं, शरीर के अंदर बाहरी वातावरण से आने वाले वायरस, बैक्टीरिया या अन्य माइक्रोब्स से लड़ने का काम करती हैं. कोरोना भी एक ऐसा ही वायरस है.
गाय का घी शरीर के लिए एक प्राकृतिक मॉइश्चराइजर है, जो शरीर को अंदर से लुब्रिकेशन देता है और त्वचा में भी स्ट्रेचेब्लिटी, शाइन और लाइफ बढ़ाता है.

किन बीमारियों में करना चाहिए घी का सेवन?

पाचन संबंधी समस्या होने पर
मोटापा घटाने के लिए
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए
लैक्टोज इंटॉलरेंस होने पर
हड्डियों की कमजोरी को दूर करने के लिए
जोड़ों का दर्द होने पर
शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए
मानसिक थकान से बचने के लिए
पीरियड्स संबंधी समस्या के इलाज में
भूख कम लगती हो तो इसे बढ़ाने के लिए

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