सिर दर्द बहुत ही आम सी समस्या है. भागदौड़ भरी जिंदगी में सभी लोग इससे कहीं ना कहीं सफर करते ही हैं, लेकिन क्या आपको लंबी हवाई यात्रा के बाद सिर में तेज दर्द महसूस होता है? दरअसल यह सवाल इसलिए जरूरी है क्योंकि एक 60 साल के व्यक्ति जिन्हें सिर से जुड़ी कोई बीमारी नहीं है उन्होंने न्यूयॉर्क से मुंबई के लिए 12 घंटे की लंबी बिना रुके उड़ान भरी और उसके बाद से ही सिर के दर्द से पीड़ित होने लगे. उन्होंने इससे पहले ऐसा अनुभव नहीं किया था. यात्रा के बाद उन्हें जब यह समस्या हुई तो उन्होंने प्रॉपर खुद को हाइड्रेट किया आराम दिया लेकिन उसके बावजूद भी सिर दर्द कम नहीं हुआ. इस तरह का जब दर्द होता है तो आश्चर्य होता है कि विमान में चढ़ने से पहले आप बिल्कुल ठीक रहते हैं तो फिर इस तरह की समस्या क्यों होती है. दरअसल इसके पीछे बहुत सारे कारक हैं ये साइनस बैरोट्रॉमा जैसे कारकों पर निर्भर करता है, जो वातावरण के बीच बैरोमेट्रिक दबाव में परिवर्तन और इंट्रानेजल साइनस के भीतर दबाव का परिणाम है.यह बदले में विमान की गति, केबिन के दबाव में बदलाव, मौसम के पैटर्न में बदलाव और अधिकतम ऊंचाई तक पहुंचने जैसे कारकों पर निर्भर करता है.
इस वजह से होता है सिर दर्द
टेक-ऑफ और लैंडिंग के दौरान सिरदर्द की तीव्रता अधिकतम होती है, जो आमतौर पर 30 मिनट के भीतर कम हो जाती है. हवाई जहाज के सिरदर्द का सबसे आम कारण जेट लैग है.जहाज की लंबी उड़ान का दिमाग पर काफी गहरा असर पड़ सकता है, इससे स्लीपिंग पैटर्न बदलने के अलावा स्ट्रेस और थकान महसूस होती है साथ ही घंटों तक एक ही तरह से बैठे रहने की वजह से आप असहज महसूस कर सकते हैं, इसके अलावा फ्लाइट के लैंडिंग और टेक ऑफ करते समय ग्रेविटी में आए बदलाव की वजह से भी सिर दर्द होने लगता है.एक्सपर्ट के मुताबिक 4-8 प्रतिशत हवाई यात्रियों में सिरदर्द कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक बना रह सकता है. ऐसे मामलों में, जब NSAIDS, ट्रिप्टान, और अन्य थेरेपी काम नहीं करती है तो ऐसे में रिसर्च की जरूरत होती है. कई बार टेक-ऑफ या लैंडिंग के दौरान सिर या गर्दन में चोट लगने के कारण इस तरह के सिरदर्द हो सकते हैं जिससे मामूली सीएसएफ रिसाव हो सकता है.
स्लीपिंग पैटर्न में बदलाव के चलते होती है समस्या
ये समस्या तब और बढ जाती है जब आप इंटरनेशनल यात्राएं अधिक करते हैं. अगर आप अलग अलग देश की यात्राएं करते हैं तो आपके स्लीपिंग रूटीन में बार बार बदलाव आता है. ये बदलाव एक बार सेट होता ही है कि दोबारा से रूटीन चेंज करने की नौबत आ जाती है. जब हम अलग अलग टाइम जोन के देशों में जाते हैं तो भी दिमाग में समय का पैटर्न बदल जाता है. और शरीर को उशी हिसाब से नींद आती है जिस हिसाब से वो नींद का आदि होता है. दूसरे देश में दिन होने की वजह से हम अपने स्लीप साइकिल के खिलाफ जाकर खुद को जागकर रखते हैं, यही वजह है की हमारी रूटीन डिस्टर्ब होती है.ऐसे में सिर दर्द की समस्या बनी रहती है
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