राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को लिखे एक पत्र में कहा है कि आसन से ना स्वीकार किए जाने वाली मांग करके सदन को पंगु बना देना दुर्भाग्यपूर्ण और जनहित के खिलाफ है।
सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि धनखड़ ने खरगे को पत्र लिखकर कहा है कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस नेता का उनसे मिलने से इनकार करना संसदीय परंपराओं के अनुरूप नहीं है।
राज्यसभा की कार्यवाही निर्धारित समय से एक दिन पहले ही बृहस्पतिवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई थी।
संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे पर उच्च सदन में विपक्षी सांसदों ने बार-बार विरोध प्रदर्शन किया। वे 13 दिसंबर की घटना के मद्देनजर संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे पर चर्चा कराने और इस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग कर रहे थे।
विरोध प्रदर्शन के कारण 46 सांसदों को सत्र के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया था। तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओब्रायन के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया गया और मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया गया।
पत्र का हवाला देते हुए सूत्रों ने कहा कि धनखड़ ने इस बात पर ‘दुख’ जताया कि सदन का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए खरगे के साथ बैठक करने के उनके प्रयासों को कांग्रेस नेता का समर्थन नहीं मिला।
धनखड़ ने कहा कि संसदीय तंत्र के अनुसार पीठासीन अधिकारी के साथ बातचीत उच्च प्राथमिकता है।
उन्होंने कहा कि वह स्वस्थ तरीके से आगे बढ़ने के लिए विपक्ष के नेता के साथ बातचीत के लिए उत्सुक हैं।
संसद के तीन हफ्तों के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा की सुरक्षा में चूक हुई, 146 सांसदों को निलंबित कर दिया गया और तृणमूल कांग्रेस की सदस्य महुआ मोइत्रा को निष्कासित कर दिया गया।
चार दिसंबर को शुरू हुए सत्र में राज्यसभा और लोकसभा में पहले सप्ताह काफी हद तक शांतिपूर्ण तरीके से कार्यवाही संपन्न हुई लेकिन संसद की सुरक्षा में चूक की 13 दिसंबर की घटना के बाद चीजें बदल गईं।
वर्ष 2001 में संसद पर हुए आतंकवादी हमले की बरसी के दिन दो व्यक्ति – सागर शर्मा और मनोरंजन डी शून्यकाल के दौरान लोकसभा की दर्शक दीर्घा से सदन में कूद गए और केन से पीले रंग की गैस छोड़ी। हालांकि, सांसदों ने उन्हें पकड़ लिया।
– एजेंसी