देश में बेटियां हर जगह असुरक्षित महसूस कर रही हैं। बेटियों की सुरक्षा के दावे कहां है। यह एक यक्ष प्रशन है यह सुलगते प्रशन है कि बेटियां कब सुरक्षित होगी। ताज़ा घटनाक्रम वाराणसी में घटित हुआ है जहाँ बीएचयू परिसर कुछ गुंडों द्वारा एक लड़की के साथ अश्लील हरकते करना व और वीडियो बनाना की घटना सामने आई हैl साल के 365 दिन महिलाओं पर अत्याचार होते रहते हैं।
आज कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक महिलाओं पर अनगिनत अत्याचार हो रहे है मगर सरकारों की कुम्भकरणी नींद नहीं टूट रही है। आज कोई भी विश्वास के योग्य नहीं रहा है किस पर विशवास करें अपने ही हैवान बन रहे हैं। आज बाबुल की गलियां ही नरक बन गई हैं। अपने रक्षक ही भक्षक बन गए हैं बहु-बेटियां घर में ही असुरक्षित हैं समय पर ऐसे घिनौने कर्म होंतें है कि कायनात कांप उठती है कि आदमी इतने नीच काम क्यों कर रहा है। महिलाएं कही भी महफूज नहीं है। महिलाओं पर बढते अत्याचार रुकने का नाम नहीं ले रहे है। देश में प्रतिदिन घटित हो रही वारदातों से महिलाओं की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लगता जा रहा है कि महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं है। इन वारदातों से हर भारतीय उद्वेलित है। सुरक्षा के दावों की पोल खुल गई है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुख्ता इतंजाम करने होगें तभी इन पर रोक लग सकती है। जघन्य व दिल दहला देने वाली दुष्कर्म की घटनाओं से जनमानस खौफजदा है। आखिर कब तक बेटियां दरिदगी का शिकार होती रहेगी। ऐसी बारदातें बहुत ही चिंतनीय हैं। बेखौफ दरिदें अराजकता फैला रहे है दरिदों की दरिदगी की वारदातें कब रुकेगी,अपराध की तारीख बदल जाती है ,मगर तस्वीर नहीं बदलती। बेशक प्रतिवर्ष 8 मार्च को विश्व महिला दिवस मनाया गया। मगर ऐसे आयोजन केवल मात्र औपचारिकता भर रह गए है क्योंकि हर वर्ष एक संकल्प लिया जाता है कि महिलाओं कों अत्याचारों से मुक्ति दिलाई जाएगी अत्याचारों का खात्मा किया जाएगा सुरक्षा के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं मगर धरातल की सच्चाईयां बेहद ही खौफनाक तस्वीरें प्रस्तूत कर रही है। आधी दुनिया पर बढतें अत्याचार देंश के लिए अशुभ संकेत है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में सफलता की बुलंदियां छुह रही हैं चांद तक अपनी काबलियत का परचम लहरा रही है।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए सैंकड़ों कड़े कानून बनाए गए है मगर यह कानून सरकारी फाईलों की धूल चाट रहे है अगर सही तरीके से लागू किए होते तो इन मामलों में इजाफा नहीं होता। आज महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं है चाहे घर हो दफतर हो, बस, सड़क, गली या चैराहा हो महिलाएं हर जगह असुरक्षित ही महसूस कर रही है। है। 2019, 2020, 2021, 2022 में भी दरिंदो ने दरिन्दगी जारी रखी lवर्ष 2023 में भी हालात सुधर नहीं रहे है। आंकड़ों के अनुसार 12 सितंबर 2018 को हरियाणा के रेवाड़ी में एक 19 साल की मेधावी छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म कर दिया था। 27 जून 2018 को मध्यप्रदेश के मंदसौर में एक सात साल की नाबालिग स्कली बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म की जघन्य घटना से हर भारतीय उद्वेलित हुआ था। यह बच्ची तीसरी में पढ़ती थी। मासूम से हुई दरिदगी व हैवानियत की यह घटना बहुत ही दिल दहलाने वाली थी। दरिदों ने जिस बर्बरता व हैवानियित से घटना को अंजाम दिया था उससे रौगटे खडे हो जाते है। दरिदों ने दरिदंगी की हदे पार कर दी थी। 16 दिसंबर 2012 सामूहिक दुष्कर्म करने वाले दुष्कर्म की वारदात से हर भारतीय उद्वेलित हुआ था। यह रौंगटे खड़े कर देने वाली घटना बहुत ही दुखद थी। हर रोज अस्मत लूटी जा रही है। दरिदों द्वारा हर राज्य में दरिदगी का सामाज्य बना रहे है। दरिदों की अराजकता बढ़ती ही जा रही है। जंगलराज स्थिितियां बन रही है। कानून को धता बताकर दरिदें दरिदगी का तांडव कर रहे है। दरिदों को सरेआम मौत के घाट उतारना हागा ताकि आने वाले समय में दरिदे कई बार सोचेगें की उनकी करतूतो का क्या अंजाम होगा। अब समय आ गया है कि दरिदों को फांसी की सजा से ही इन मामलों पर विराम लग सकता है। वर्ष 2023 के जनवरी माह से देश के हर राज्य में इन मामलों में बेतहासा वृद्धि होती जा रही है। साल के दस माह में यह दुष्कर्म रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। सरकार को इन मामलों पर त्वरित कारवाई करनी होगी। हर रोज दरिदें दरिदगी का तमाशा कर रहे है। देश में दुष्कर्म के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे है। इससे पहले कठुआ में भी एक बच्ची के साथ दरिदगी का मामला प्रकाश में आया था। प्रतिदिन इन अपराधों में इजाफा होता जा रहा है। देश में दरिदगी की वारदातें कब रुकेगीं। गत वर्ष हिमाचल में भी गुडिया कांड हुआ था। इससे पहले देश की राजधानी दिल्ली में दिल दहला देने वाला कृत्य हुआ था जब द्वारका नार्थ इलाके में देर रात टैक्सी से घर लौट रही एक महिला से उबर जैसे रेप का मामला घटित हो गया था। यह बहुत ही घिनौना कृत्य है कि ऐसे प्रकरण थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। देश में लड़कियां कितनी महफूज है इन घटनाओं से अंदाजा लगाया जा सकता है।
26 मार्च 2017 को उतर प्रदेश के लखीमपुरीमें दो नाबालिग बहनों के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई। ऐसी वारदातें खौफनाक है। रेप व हत्या की ऐसी घटनाएं दिल दहला देने वाली हैं। 26 मार्च को ही नई दिल्ली में एक युवक ने एक बच्ची को टाॅफी दिलाने के बहाने दुष्कर्म किया। देश में हर रोज अबोध बच्चियों से लेकर अधेड़ उम्र की महिलाओं से दुष्कर्म कर रहे है। फांसी की सजा से ही इन मामलो पर विराम लग सकता है। बीते वर्ष 2022 में भी अत्याचारों का सिलसिला बेखौफ चलता रहा दरिदों ने अपनी दरिदगी का नंगा नाच जारी रखा। हजारों महिलाएं व नाबालिग बच्चीयां दुष्कर्मो का शिकार हुई। वर्ष 2023 के प्रथम माह जनवरी से ही महिलाओं पर अत्याचारों की शुरुआत हो चुंकी है जनवरी से लेकर अक्टूबर माह तक में देश में हजारों घटनाएं घटित हो चुकी हैं।
– एजेंसी