आधार, यूपीआई और फास्टैग जैसे डिजिटल सार्वजनिक ढांचे (डीपीआई) से मिलने वाले राजस्व ने 2022 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.9 प्रतिशत का योगदान दिया है।
उद्योग निकाय नैसकॉम की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल सार्वजनिक ढांचे ने 2022 में कुल 31.8 अरब डॉलर के मूल्य का सृजन किया है। नैसकॉम का अनुमान है कि 2030 तक डिजिटल सार्वजनिक ढांचे का जीडीपी में योगदान बढ़कर 2.9 से 4.2 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा।
सॉफ्टवेयर कंपनियों के निकाय नैसकॉम और प्रबंधन परामर्श कंपनी आर्थर डी लिटिल की रिपोर्ट ‘भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना – भारत के डिजिटल समावेशन में तेजी लाना’ में कहा गया है कि भारतीय डीपीआई की मूलभूत परतें पारदर्शिता और विश्वास पर आधारित हैं, जो कागज रहित लेनदेन को बढ़ावा देती हैं, नौकरशाही को कम करती हैं और डिजिटल पहचान और दस्तावेज़ प्रबंधन की अवधारणा को उन्नत करती हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि आधार, यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) और फास्टैग जैसे संपूर्ण डीपीआई को 2022 तक तेजी से अपनाया गया है। …और अगले सात-आठ साल में आगे वृद्धि का अवसर मिलता है, जो आबादी के सबसे दूरस्थ क्षेत्रों तक भी पहुंचता है।
रिपोर्ट के अनुसार, “साल 2030 तक डीपीआई को अपनाने की क्षमता और बढ़ सकती है। इससे डीपीआई का आर्थिक मूल्यवर्द्धन 2022 के 0.9 प्रतिशत से बढ़कर 2030 तक जीडीपी का 2.9-4.2 प्रतिशत होने की संभावना है।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में 30 से अधिक देश सामाजिक और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए अपने देशों में यूपीआई, आधार और बेकन जैसे भारत के डीपीआई को या तो अपना रहे हैं या लागू करने के लिए शुरुआती चर्चा कर रहे हैं।
– एजेंसी