लंदन (एजेंसी/वार्ता): इक्कसवीं सदी की वृहत वैज्ञानिक परियोजनाओं में से एक स्क्वायर किलोमीटर एरे (एसकेए) का निर्माण चरण सोमवार से शुरू हो गया।बीबीसी ने बताया कि स्क्वायर किलोमीटर एरे (एसकेए) वर्ष 2028 में पूरा होने पर यह दुनिया का सबसे बड़ा रेडियो टेलीस्कोप होगा।
ब्रिटेन में मुख्यालय के साथ दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया तक में फैली यह सुविधा खगोल भौतिकी में सबसे बड़े प्रश्नों का हल खोजने में मदद करेगी। यह आइंस्टीन के सिद्धांतों का सबसे सटीक परीक्षण करेगा और यहां तक कि अतिरिक्त-स्थलीय जीवों की खोज भी करेगा।
बीबीसी के अनुसार परियोजना का नेतृत्व करने वाले आठ देशों के प्रतिनिधिमंडल पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के दूरस्थ मर्चिसन शायर और दक्षिण अफ्रीका के उत्तरी केप के कारू में समारोहों में भाग ले रहे हैं। स्क्वायर किलोमीटर एरे ऑर्गनाइजेशन के महानिदेशक प्रो फिल डायमंड ने कहा,“ यह वह क्षण है, जब यह वास्तविक हो रहा है।” उन्होंने बीबीसी न्यूज से कहा,“ यह 30 साल की यात्रा रही है। पहले 10 साल अवधारणाओं और विचारों को विकसित करने के बारे में थे।
दूसरे 10 साल प्रौद्योगिकी विकास करने में बिताए गए थे और फिर पिछला दशक विस्तृत डिजाइन, साइटों को सुरक्षित करने, सरकारों से सहमत होने के बारे में था जो एक संधि संगठन (एसकेएओ) की स्थापना करें और परियोजना शुरू करने के लिए धन उपलब्ध कराएं।” टेलीस्कोप की प्रारंभिक वास्तुकला में 200 से कम परवलयिक एंटेना, या “ छतरियां ”, साथ ही साथ 131,000 द्विध्रुवीय एंटेना शामिल होंगे, जो क्रिसमस के पेड़ों की तरह दिखते हैं।
इसका उद्देश्य सैकड़ों हजारों वर्गमीटर के प्रभावी संग्रहण क्षेत्र का निर्माण करना है। यह एसकेए को अद्वितीय संवेदनशीलता और संकल्प देगा क्योंकि यह आकाश में लक्ष्यों की जांच करता है। यह प्रणाली मोटे तौर पर 50 मेगाहर्ट्ज़ से लेकर अंततः 25 गीगाहर्ट्ज़ तक की फ़्रीक्वेंसी रेंज में काम करेगी।
यह टेलीस्कोप को पृथ्वी से अरबों प्रकाश वर्ष दूर लौकिक स्रोतों से आने वाले बेहद हल्के रेडियो संकेतों का पता लगाने में सक्षम बनाता है, जिसमें बिग बैंग के बाद पहले कुछ सौ मिलियन वर्षों में उत्सर्जित सिग्नल भी शामिल हैं।
-एजेंसी/वार्ता
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