नयी दिल्ली (एजेंसी/वार्ता): वर्ष 2012 के छावला बलात्कार एवं हत्या मामले में पीड़िता के माता-पिता की ओर से दायर समीक्षा याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने की उच्चतम न्यायालय से मांग की गई है। पीड़िता के वकील चारु वली खन्ना ने गुरुवार को मामले का जिक्र करते हुए कहा कि मृत्युदंड के आरोपियों को बरी कर देने से जनता का विश्वास डगमगा गया है।
चारू वली खन्ना ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में न्यायाधीश जेबी पारदीवाला और पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया और कहा “ मामले में मृत्युदंड के आरोपियों को बरी करने के कारण जनता का विश्वास हिल गया था। कृपया हमारी समीक्षा याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें।”
वर्ष 2012 के छावला सामूहिक बलात्कार और हत्या के तीन आरोपियों को बरी किए जाने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के खिलाफ पीड़िता के माता-पिता और सामाजिक कार्यकर्ता, योगिता भयाना और अन्य द्वारा उच्चतम न्यायालय के समक्ष समीक्षा याचिकाएं पहले ही दायर की जा चुकी हैं। न्यायाधीश डॉ चंद्रचूड़ ने कहा कि वह कागजात देखेंगे।
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) उदय उमेश ललित और न्यायाधीश एस रवींद्र भट और बेला एम त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सात नवंबर को अपने फैसले में आरोपी राहुल , रवि और विनोद को 09 फरवरी, 2012 को अपने कार्यस्थल से घर लौट रही लड़की का अपहरण करने के आरोप से बरी कर दिया था। इन तीनों अभियुक्तों को 2014 में निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, जिसे दिल्ली उच्च न्यायालय बरकरार रखा।
राहुल, रवि और विनोद पर 09 फरवरी, 2012 को अपने कार्यस्थल से घर लौट रही लड़की का अपहरण करने का आरोप लगाया गया था। बाद में पुलिस को 14 फरवरी को हरियाणा के रेवाड़ी के पास लड़की का क्षत-विक्षत शव मिला। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पता चला कि पीड़िता पर हमला कर उसके साथ बलात्कार किया गया तथा आंखों पर तेजाब डाला गया था।
-एजेंसी/वार्ता
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