केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने GST नियमों में सुधार करते हुए नया प्रावधान पेश किया है। अब उन संस्थाओं को अस्थायी पहचान संख्या (TIN) दी जाएगी, जिन्हें GST पंजीकरण कराने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन कुछ मामलों में कर भुगतान करना जरूरी है। यह फैसला हाल ही में GST परिषद की बैठक में लिया गया।
किन्हें मिलेगा अस्थायी पहचान संख्या?
ऐसी कंपनियां या व्यक्ति जो GST अधिनियम के तहत पंजीकरण कराने के लिए बाध्य नहीं हैं, लेकिन विशेष लेन-देन के लिए कर भुगतान करना आवश्यक है, उन्हें TIN प्रदान किया जाएगा। इससे कर भुगतान की प्रक्रिया पहले से अधिक सरल और सुगम हो जाएगी।
पंजीकरण की मौजूदा सीमा:
GST नियमों के तहत:
विनिर्माण क्षेत्र: 40 लाख रुपये वार्षिक टर्नओवर तक पंजीकरण की आवश्यकता नहीं।
सेवा क्षेत्र: 20 लाख रुपये वार्षिक टर्नओवर तक पंजीकरण से छूट।
इससे कम टर्नओवर वाले कारोबारियों को पंजीकरण की बाध्यता से राहत दी गई है।
नए नियम के फायदे:
CBIC ने केंद्रीय GST नियमों में नियम 16A जोड़ा है। इसके तहत:
जो व्यक्ति पंजीकरण कराने के लिए अनिवार्य नहीं हैं, वे भी GST के तहत कर चुकाने के लिए TIN प्राप्त कर सकेंगे।
कर भुगतान की प्रक्रिया पहले से अधिक सरल होगी।
अनुपालन का बोझ कम होगा, और करदाताओं को कानूनी जटिलताओं से राहत मिलेगी।
क्या होगा असर?
छोटे और अस्थायी कारोबारियों को लाभ: अब छोटे कारोबारी कर भुगतान के लिए GST पंजीकरण कराने की जरूरत से बच सकेंगे।
अनुपालन में आसानी: यह कदम कर प्रणाली को सरल बनाने और अनुपालन को कम जटिल करने में मदद करेगा।
सरकारी राजस्व में वृद्धि: यह प्रावधान कर संग्रहण को और मजबूत बनाएगा।
कर भुगतान में सुगमता:
यह नियम उन कारोबारियों और व्यक्तियों के लिए राहत लेकर आया है, जो नियमित रूप से कर योग्य गतिविधियों में संलग्न नहीं होते हैं। अस्थायी पहचान संख्या के माध्यम से करदाता बिना GST पंजीकरण के भी आसानी से कर का भुगतान कर सकेंगे।
निष्कर्ष:
CBIC का यह कदम छोटे कारोबारियों और अस्थायी करदाताओं के लिए एक बड़ी राहत है। इससे न केवल कर प्रणाली अधिक समावेशी बनेगी, बल्कि सरकारी राजस्व संग्रहण में भी मजबूती आएगी। नए नियम करदाताओं के लिए सहूलियत और सरकारी प्रणाली के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित करेंगे।
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