भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कद्दावर नेता बी एस येदियुरप्पा ने रविवार को कहा कि ‘जातीय जनगणना’ नाम से चर्चित कर्नाटक का सामाजिक-आर्थिक एवं शैक्षिक सर्वेक्षण व्यवस्थित ढंग से नहीं कराया गया, ऐसे में राज्य की कांग्रेस सरकार से अनुरोध है कि वह नये सिरे से सर्वेक्षण कराए और तथ्यों को लोगों के सामने रखे।
कर्नाटक में वर्चस्व रखने वाले दो समुदायों (वोक्कलिगा और लिंगायत) ने भी इस सर्वेक्षण को अवैज्ञानिक करार देते हुए अस्वीकार कर दिया है तथा मांग की है कि इसे खारिज कर नये सिरे से सर्वेक्षण कराया जाए।
पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने कहा, ”सभी के दिमाग में यह बात है कि सर्वेक्षण व्यवस्थित ढंग नहीं कराया गया। मेरी भी ऐसी ही राय है। इसलिए नये सिरे से जाति आधारित सर्वेक्षण कराया जाए तथा तथ्यों से लोगों को अवगत कराया जाए। मैं सरकार से इस दिशा में ईमानदार प्रयास करने की अपील करता हूं।”
येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से आते हैं। साल 2015 में सिद्धरमैया की अगुवाई वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार (2013-2018) ने राज्य में 170 करोड़ रुपये के अनुमानित खर्च से सामाजिक-आर्थिक एवं शैक्षिक सर्वेक्षण कराया था जिसे ‘जातीय जनगणना’ कहा गया था।
तत्कालीन अध्यक्ष एच कंठराजू की अध्यक्षता में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को इस जातीय जनगणना की रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गयी थी।
यह सर्वेक्षण सिद्धरमैया के बतौर मुख्यमंत्री पहले कार्यकाल के समापन के समीप 2018 में पूरा हुआ था लेकिन उसे न तो स्वीकार किया गया और न ही सार्वजनिक किया गया था।
हाल में बिहार सरकार द्वारा अपनी जातीय सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी किये जाने के बाद एक वर्ग की ओर से कर्नाटक सरकार पर जातीय सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी करने का दबाव पड़ने लगा, ऐसे में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा है कि रिपोर्ट मिलने के बाद इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा।
फिलहाल, वर्तमान अध्यक्ष के जयप्रकाश हेगड़े की अध्यक्षता वाले कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पास जातीय जनगणना के निष्कर्ष हैं। आयोग को यह रिपोर्ट सरकार को 31 जनवरी, 2024 तक सौंपने को कहा गया है।
हिजाब विवाद पर येदियुरप्पा ने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को समुदायों के बीच विष के बीज बोना बंद करना चाहिए क्योंकि इससे न तो उन्हें और न ही उनकी पार्टी को किसी भी तरह कोई फायदा होगा।
उन्होंने कहा, ” अच्छा है कि हमारे दबाव के कारण सिद्धरमैया ने अपना बयान वापस ले लिया है , कम से कम अब तो सदबुद्धि आएगी। हम अल्पसंख्यक विरोधी नहीं हैं। भाजपा मानती है कि हिंदू, ईसाई और मुसलमान को एक मां की संतान के रूप में साथ मिलकर रहना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह बात कई बार कही है।”
सिद्धरमैया ने शनिवार को स्पष्ट किया कि प्रशासन राज्य में शैक्षिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर लगी पाबंदी हटाने पर बस विचार भर कर रहा है तथा सरकार के स्तर पर चर्चा करने के बाद निर्णय लिया जाएगा।
उससे एक दिन पहले उन्होंने कहा था कि शैक्षिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर कोई पाबंदी नहीं है तथा परिधान एवं भोजन संबंधी लोगों की पसंद व्यक्तिगत मसला है।
– एजेंसी