भोपाल (एजेंसी/वार्ता) मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि जीवन का निर्माण शिक्षा का उद्देश्य होता है।श्री गौतम ने यहां अरविंद सोसायटी मध्यप्रदेश द्वारा श्री अरविंद सार्थशती समारोह के अंतर्गत आयोजित व्याख्यानमाला में नई शिक्षा नीति विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जीवन का निर्माण शिक्षा का उद्देश्य होता है।
शिक्षा का कार्य संस्कारों के संरक्षण के साथ भविष्य का निर्माण करना है ज्ञान भाषात्मक नहीं भावनात्मक होना चाहिए।
आज जो स्थिति है, हमारी सरकार को नई शिक्षा नीति लाने की जरूरत क्यों पड़ी है। क्योंकि विगत कुछ दशकों में हमारे शिक्षा के स्वरूप में न तो समय की आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन किया और ना ही उसे प्रायोगिक और रोजगार परक बनाने के लिए कार्य किया।
नई शिक्षा नीति ज्ञान, कौशल, संस्कार और व्यावहारिकता का एक संगम है। उन्होंने कहा कि असभ्य समाज से जब हम सभ्यता की ओर बढ़ रहे हैं तो अपनी संस्कृति, संस्कार और परंपरा को जीवंत रखने का प्रयास से ही शिक्षा की शुरूआत होती है। शिक्षा की नीति तो सरकार ने बनाई है लेकिन नई शिक्षा एक अलग विषय है।
श्री गौतम ने कहा कि प्रत्येक मानव के अंदर कुछ दिव्य शक्ति है। दिमाग को सही दिशा में ले जाना ही शिक्षा है।
दिमाग स्वंय में शक्ति पुंज है। किसी भी देश या राष्ट्र को विकास की ओर अग्रसर होना है तो वहां शिक्षा के व्यापक रूप से प्रसार की आवश्यकता है। शिक्षा के माध्यम से विषयगत ज्ञान प्राप्त करते हैं जबकि विद्या के माध्यम से हम हमारे संस्कार और पुरा ज्ञान की प्राप्ति कर सकते हैं।
श्री गौतम ने कहा कि भारत की नई शिक्षा नीति में ज्ञान के साथ कौशल को पर्याप्त स्थान दिया गया है तो वहीं संस्कृति और संस्कारों के संरक्षण एवं उसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए प्रबंध किए गए है। आज इतिहास को नए सिरे से परिभाषित करने की आवश्यकता है। हमारी शक्ति और समृद्धता को इतिहास की पुस्तकों में छिपाया गया है। हमारे राष्ट्र में वैदिक युग में विज्ञान, भाषा और अन्य ज्ञान का व्यापक प्रसार था, लेकिन यह तथ्य सामने नहीं लाया गया है।
एजेंसी/वार्ता
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