नयी दिल्ली (एजेंसी/वार्ता): पैर की समस्या से ग्रस्त लोगों के लिए अधिक सुविधाजनक वाकर विकसित करने वाली भारत की शालिनी कुमारी को सामान्य लोगों के लिए उपयोगी इस नवोन्मेष के लिए कंबोडिया में आयोजित तीसरे आसियान-भारत ग्रासरूट इनोवेशन फोरम में प्रथम पुरस्कार मिला है।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की गुरुवार को जारी एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गयी। सुश्री शालिनी कुमारी पटना की हैं। उन्हें पहली बार विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त निकाय नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन द्वारा वर्ष 2011 में इग्नाइट (आईजीएनआईटीई) प्रतियोगिता के माध्यम से मान्यता दी गई थी। द्वितीय पुरस्कार सुश्री मरियम बौऊकिया (फिलीपीन्स) को उनके बहुउद्देशीय (मल्टीपरपज) फाइबर स्ट्रिपर तथा तृतीय पुरस्कार म्यो थाऊ ( म्यामार) को ग्रीन टाडी (ताड़ की हरी ताड़ी) संबंधी तकनीक के लिए दिया गया। उन्हें क्रमशः 1000 डॉलर और 500 डॉलर मिले।
विज्ञप्ति के अनुसार समायोज्य पैर वाले संशोधित वॉकर (मॉडिफाइड वॉकर विद एडजस्टेबल लेग्स) बनाने की शालिनी कुमारी इस प्रौद्योगिकी को अस्थि-रोगियों संबंधी सामान बनाने वाली फर्म विस्को रिहैबिलिटेशन एड्स को हस्तांतरित किया गया है। यह उत्पाद ई-कामर्स साइट अमेज़ॅन इंडिया पर भी उपलब्ध है। विज्ञप्ति के मुताबिक सुश्री शालिनी कुमारी को यह पुरस्कार कंबोडिया के उद्योग विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार मंत्रालय (एमआईएसटीआई) के महानिदेशक महामहिम डॉ. हुल सिंघेंग कंबोडिया के हाथों प्रदान किया गया। डॉ सिंघेंग वहां की विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवोन्मेष पर समिति (सीओएसटीआई) के अध्यक्ष भी हैं। प्रथम पुरस्कार की विजेता होने के कारण भारत की इस नवोन्मेषक महिला को 1,500 डॉलर का नकद राशि भी दी गयीहै।
भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन(एनआईएफ), दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन आसियान (आसियान) की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार समिति द्वारा कंबोडिया में नाम पेन्ह में आयोजित तीन दिवसीय तीसरे आसियान भारत ग्रासरूट इनोवेशन फोरम का कंबोडिया की मंत्री किट्टी सेठ पंडिता चाम की उपस्थिति में गुरुवार समापन हुआ। इस आयोजन में भारत और आसियान सदस्य राज्यों (एएमएस) के प्रतिभागी शामिल थे। वहां 9 देशों की लगभग 100 तकनीकों का प्रदर्शन किया गया।
-एजेंसी/वार्ता
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