सभी नदियां मानसून पर निर्भर, अंडर ग्राउंड रिसोर्स पैदा करना सबसे बड़ी चुनौती: मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत

उदयपुर (एजेंसी/वार्ता): केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत ने कहा कि वर्तमान समय में गंगा को छोडक़र देश की सभी नदियां मानसून पर निर्भर हैं। ऐसे में पानी का अंडर ग्राउंड रिसोर्स पैदा करना सुबसे बड़ी चुनौती है। शेखावत भारतीय जैन संघटना (बीजेएस) के आज से शुरु हुए दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भविष्य की परिस्थितियों को देखते हुए हमें अभी से ही यह सोचने की आवश्यकता है कि जमीनी स्तर पर पानी को कैसे सहेजा जाए। इस दिशा में योजना बनाकर काम करने की आवश्यकता है।

उन्होंने जैन संघटना के संस्थापक शांतिलाल मुथ्था द्वारा 35 वर्ष से किए जा रहे प्रयासों सराहना करते हुए कहा कि कोई भी काम बिना इच्छाशक्ति के पूर्णता की ओर नहीं बढ़ता है, इसके लिए आवश्यक है कि सामूहिक तौर पर सभी इसमें अपनी सहभागिता का निर्वाह करें। आज भारत को गुलामी से मुक्त हुए 75 साल बीत चुके हैं। इतने वर्षों के दौरान देश के विकास में सरकारों के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ सेवाभावी लोगों का पूरा सहयोग रहा है।

शेखावत ने कहा कि गत कुछ वर्षों से यह देखा जा रहा है कि मानसून का क्लाइमेट पूरी तरह से परिवर्तित हो गया है। जहां पहले चार माह तक मानसून की बारिश होती थी, वह आज 20 से 25 दिनों में सिमट कर रह गई है। ऐसे हालातों से निपटने के लिए हमें आज से ही सोचना है। वैज्ञानिक नीति के साथ यह भी देखना है कि जमीनी जल स्तर को बढ़ाने के लिए क्या किया जा सके। उन्होंने कहा कि पीने के साथ खेती के लिए पानी का संरक्षण किया जाना आवश्यक हो गया है।

राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सी पी जोशी ने कहा कि पानी को सुरक्षित रखने के लिए केवल पांच सालों की सरकारों पर निर्भर न रहकर उसकी बजाय समाज और विभिन्न संगठन बागडोर संभालें तो इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि पानी को बचाने और शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए हम क्या कर रहे है और कहां हमसे कमी रह गई है, इसके लिए भी समीक्षा की जानी चाहिए। नदियों के पास शहर बस गए है। चलते पानी पर रुकावटें पैदा हो रही है। बांधों पर एनीकट बन गए हैं तो पानी चल नही रहा है, रुक गया है।

राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि मेवाड़ की धरा पर भारतीय जैन संघटना का दो दिवसीय अधिवेशन होना सौभाग्य की बात है। वैसे भी यहां की धरा त्याग और बलिदान की द्योतक रही है। यह महाराणा प्रताप की धरती है, जिन्होंने अपने संघर्ष से मेवाड़ की आन-बान और शान की रक्षा की। पन्नाधाय ने अपने पुत्र का बलिदान देकर मेवाड़ की गौरवशाली परंपरा को अक्षुण्ण बनाए रखा और उदयसिंह को बचाकर इतिहास बदला।
यदि आज उदयसिंह नहीं होते तो हालात दूसरे होते।

समारोह को गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के साथ भारतीय जैन संघटना के संस्थापक शांतिलाल मुथ्था, राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र लूंकड़, बीजेएस प्रदेशाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत, अभय श्रीश्रीमाल अध्यक्ष जीतो एपेक्स आदि ने भी संबोधित किया।

समारोह में डॉ. अभय फिरोदिया चेयरमेन फोर्स मोटर्स, वल्लभ भंसाली प्रबधंन निदेशक ईनाम सिक्योरिटी, अरूण जैन सीएमडी इंटलेक्ट डिजाईन अरहना लिमिटेड, प्रदीप राठौड़ सेलोवर्ल्ड गु्रप मुम्बई, डॉ. चेनराज जैन चांसलर जैन युनिवर्सिटी बैंगलोर, विजय दरड़ा चेयरमैन लोकमत मीडिया, अविनाश मिश्रा सलाहकार नीति आयोग, डॉ. अख्तर बादशाह वाशिंगटन विश्वविद्यालय सहित देशभर के 100 से अधिक उद्योगपति, शिक्षाविद्, ब्यूरोकैट्स एवं जनप्रतिनिधि मौजूद थे। केंद्रीय सडक़ और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अपने वर्चअल संबोधन में कहा कि देश में पानी की कहीं कमी नहीं है। कमी है तो नियोजन की।

अगर हम सही नियोजन से योजनाओं को धरातल पर लाएंगे तो इसके सुखद परिणाम भी सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से आम आदमी अपने धन को भविष्य देखकर सुरक्षित रखने खाते खुलवाता है उसी तरह से हमें पानी को सहेजने के लिए जमीनी स्तर पर इसे सुरक्षित करखने का प्रयास करना होगा, ताकि संकट के समय इसका सदुपयोग किया जा सके।

-एजेंसी/वार्ता

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