आजकल थायराइड की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। लगभग हर दूसरे व्यक्ति को इससे संबंधित शिकायत होती है। थायराइड एक तितली के आकार का ग्लैंड होता है जो गले में स्थित है और यह हमारे मूड, मेटाबोलिज्म, पाचन, वजन नियंत्रण और फर्टिलिटी से जुड़ा होता है।
अगर यह ग्लैंड बेवजह अधिक सक्रिय (हाइपरथायराइडिज्म) या कम सक्रिय (हाइपोथायराइडिज्म) हो जाता है, तो बॉडी के कई अहम कार्य प्रभावित हो जाते हैं। ऐसे समय में एक देसी जड़ी-बूटी मुलेठी (ग्लाइसीराइज़ा) आपकी सेहत में कारगर बदलाव ला सकती है।
🧠 थायराइड के लिए मुलेठी के फायदे
एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण
मुलेठी थायराइड ग्लैंड में सूजन कम करने में मदद करता है, जिससे ग्लैंड का कार्य सामान्य रहता है।
एंटीऑक्सीडेंट बूस्ट
इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स हार्मोन उत्पादन को संतुलित बनाते हैं और थायराइड के लक्षणों को कंट्रोल करने में सहायक होते हैं।
मेटाबोलिज्म में सुधार
मुलेठी मेटाबोलिक रेट को बढ़ाती है, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है—जो थायराइड के कई मरीजों के लिए बड़ी राहत है।
🥄 थायराइड में मुलेठी का सेवन कैसे करें?
मुलेठी चाय
एक चम्मच मुलेठी के टुकड़े (या पाउडर) को पानी में उबालें, थोड़ा ठंडा होने पर पीएं।
काढ़ा या पानी पीना
मुलेठी को रातभर पानी में भिगोकर सुबह इसका पानी (डिटॉक्स वाटर की तरह) पी सकते हैं।
दूध में मिलाकर सेवन
एक कप गर्म दूध में आधा चम्मच मुलेठी पाउडर डालकर रात को सोने से पहले लें—इससे थायराइड संतुलन में मदद मिलती है।
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