सरकारी दूरसंचार कंपनियां क्यों पिछड़ रही हैं? जानिए पूरी कहानी

हाल ही में भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) ने सभी राज्य सरकारों से अपील की है कि वे अपने सरकारी कार्यों में BSNL और MTNL जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की सेवाओं को प्राथमिकता दें। विभाग का तर्क है कि लैंडलाइन, इंटरनेट और लीज्ड लाइन जैसी ज़रूरतों के लिए सरकारी कंपनियों का इस्तेमाल डेटा सुरक्षा को बढ़ावा देगा और इन संस्थाओं की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी।

लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। साल 2019 में भी इसी तरह का आग्रह किया गया था, और अब 2024 में दोबारा की गई अपील को भी राज्य सरकारों से खास प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

🤔 क्यों हिचकिचा रही हैं राज्य सरकारें?
राज्यों की सबसे बड़ी चिंता है BSNL और MTNL की सर्विस क्वालिटी और टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन।
सरकारी विभागों में ज़्यादातर कॉन्ट्रैक्ट अभी भी प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों जैसे Jio और Airtel के पास हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि:

BSNL-MTNL तकनीकी रूप से पिछड़े हैं

बैकएंड सपोर्ट कमजोर है

नई टेक्नोलॉजी जैसे 5G को अपनाने में ये कंपनियां धीरे हैं

📈 क्यों छा गईं जियो और एयरटेल?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, Jio और Airtel की सर्विस क्वालिटी लगातार बेहतर मानी जा रही है।

2018 में Airtel ने रेलवे के लिए 3.78 लाख मोबाइल कनेक्शन का कॉन्ट्रैक्ट जीता

2023 में Jio-Airtel ने मिलकर 11 लाख सिम कार्ड का टेंडर हासिल किया

दिल्ली मेट्रो के अंडरग्राउंड नेटवर्क से लेकर Central Vista Project तक में इन्हीं कंपनियों की सेवाएं ली जा रही हैं

🔍 जमीनी हकीकत बनाम सरकारी उम्मीद
सरकार की मंशा भले ही BSNL और MTNL को बढ़ावा देने की हो, लेकिन जमीनी स्तर पर भरोसा और प्रदर्शन दोनों ही फिलहाल प्राइवेट कंपनियों के पक्ष में है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि BSNL अब 5G जैसे क्षेत्रों में प्रयास कर रहा है, लेकिन उसे विश्वसनीयता और तकनीकी आधुनिकता की दौड़ में अभी समय लगेगा।

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