भारतीय लोकाचार, चेतना और संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा हैं वन: उपराष्ट्रपति धनखड़

नयी दिल्ली (एजेंसी/वार्ता): उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण क्षरण की चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक वैश्विक कार्रवाई का आह्वान किया है। उपराष्ट्रपति शनिवार को संसद भवन परिसर में भारतीय वन सेवा के 2021 बैच के परिवीक्षाधीन अधिकारियों के साथ बातचीत में कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि मानव जाति इस ग्रह को अपने विशेषाधिकार के रूप में नहीं ले सकतीं।

वन सेवा अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, “आप हमारे आदिवासी समुदायों के साथ व्यवहार करेंगे और उनकी प्राचीन संस्कृति का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करेंगे। आपके पास उनकी जरूरतों और आकांक्षाओं को पूरा करने का एक ईश्वरीय अवसर होगा।”

धनखड़ ने वनों के महत्व पर कहा कि ‘वन भारतीय लोकाचार, चेतना और संस्कृति का अभिन्न और प्रमुख अंग रहे हैं’। वन संपदा के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष 10 देशों में शामिल है। इसको ध्यान में रखते हुए अधिकारियों को ‘मानव जाति की सेवा के लिए प्रकृति की सेवा’ करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वन अधिकारी ‘प्रकृति के राजदूत’ हैं।

नीति के निर्देशक सिद्धांतों के हिस्से के रूप में ‘वनों की सुरक्षा और सुरक्षा’ को शामिल करने के लिए संविधान निर्माताओं की दृष्टि की प्रशंसा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि नागरिकों के लिए मौलिक कर्तव्यों जैसे ‘प्राकृतिक संरक्षण’ को शामिल करने के लिए संविधान में संशोधन किया गया था।

-एजेंसी/वार्ता

यह भी पढ़े; मोदी ‘वीर बाल दिवस’ पर सोमवार को बाल कीर्तनियों के ‘शबद कीर्तन’ में भाग लेंगे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *